किसानों को यदि अपनी खेती में उन्नति की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाना है, तो उन्हें सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि वो अपने लाभ और हानि की पहचान कर सकें. दरअसल, कई किसान जो अब तक पारंपरिक खेती पर ही निर्भर है, लेकिन अगर वो अपनी खेती का तरीका बदल लें और तरह-तरह की फसलें लगाएं तो उन्हें भारी मुनाफा हो सकता है. तो ऐसे में अगर आप जीरे की खेती (Cumin Farming Profit) को अपनाएं तो इसमें आपको मुनाफा होने की पूरी-पूरी उम्मीद है.
क्या है जीरा और इसकी खासियत (What is Cumin and its specialty)
जीरा (Jeera) एक ऐसी फसल है जो हर घर की रसोई में मिल जाता है. इसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है, इसलिए इसकी अच्छी खासी मांग पूरे देश में है. और इसी के चलते किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं. बता दें कि अन्य सभी प्रकार की खेती की तुलना में जीरे की खेती अधिक लाभदायक है, लेकिन जीरे की खेती (Jeera Ki Kheti) में अगर हमें मौसम, बीज, खाद और सिंचाई का सही तरीके से पता ना हो, तो आपको भी नुकसान उठाना पड़ सकता है, इसलिए कृषि जागरण आपके लिए जीरे की खेती की जानकारी लेकर आया है.
जीरा की खेती (Cumin Cultivation)
हिमाचल का मशहूर काला जीरा (Black Jeera) उत्तराखंड के किसान की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है. यूरोपीय बाजार में भी काले जीरे की भारी मांग है. ऐसे में यूरोप के बाजारों में अधिक दाम पर काला जीरा बेचकर किसान ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. यह हर्बल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Herbal Research Institute) के वैज्ञानिकों के कड़े प्रयासों से संभव हुआ है.
जीरा की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Climate Required for Cumin Cultivation)
जीरा की फसल नम, आर्द्र और भारी वर्षा वाली जलवायु परिस्थितियों में अच्छी तरह से टिक नहीं पाती है. यह उपोष्णकटिबंधीय गर्मी और आर्द्रता (Subtropical Heat and Humidity) के साथ मध्यम शुष्क और ठंडे वातावरण में अच्छी तरह से फलता-फूलता है.
जीरा की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी (Soil required for Cumin Cultivation)
Jeera Ki Kheti के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसमें कार्बनिक पदार्थों से भरपूर जल निकासी हो. यदि आप व्यावसायिक खेती (Commercial Farming) की व्यवस्था कर रहे हैं, तो उस क्षेत्र का चयन करना चाहिए जिसमें पिछले 3 से 4 वर्षों के दौरान जीरे की खेती कम से कम नहीं की गई हो.
जीरे की खेती में बुवाई (Sowing in Cumin Cultivation)
नवंबर और दिसंबर के सर्दियों के महीने मध्यम दिन और ठंडी जलवायु प्रदान करते हैं जो जीरा की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय है.
जीरे की खेती में बीज दर (Seed rate in Cumin Cultivation)
प्रति हेक्टेयर लगभग 12 से 16 किलोग्राम जीरे के पौधे आमतौर पर पर्याप्त होते हैं.
जीरे की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Cumin Cultivation)
जीरे की खेती में खरपतवार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. जीरे की खेती के लिए आमतौर पर Jeera लगाने के 1 महीने 2 महीने बाद निराई की आवश्यकता होती है. इसके लिए आपको प्री-इमेनेंट टेरब्यूट्रिन या ऑक्सकाडियाज़ोन 0.5 से 1.0 किग्रा/हेक्टेयर या प्री-प्लांट फ्लुक्लोरालिन या प्री-इमेनेंट पेनिमेथालिन 1.0 किग्रा/हेक्टेयर पर लगाने की जरुरत है.
जीरे की खेती में सिंचाई (Irrigation in Cumin Cultivation)
बीज बोने के बाद अक्सर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है और दूसरी सिंचाई 7 से 10 दिनों के बाद करनी चाहिए. मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर बाद में सिंचाई करनी चाहिए.
जीरा की कटाई और उपज (Cumin Harvesting and Yield)
कटाई से पहले, खेत को साफ किया जाता है और मुरझाए हुए पौधों को हटा दिया जाता है. जीरे के पौधे को दरांती से काटकर कटाई समाप्त कर ली जाती है. पौधों को धूप में सुखाने के लिए साफ फर्श पर रखना चाहिए. धूप में सुखाने के बाद, बीजों को डंडों से हल्की पिटाई से अलग किया जाता है.