Lauki Ki Kheti: देश में सर्दियां अब अपने अंतिम पड़ाव पर हैं और गर्मियां दस्तक देने को हैं. इस बीच कई किसान अब गर्मियों में बोई जाने वाली लौकी की फसल लगाने की तैयारी कर रहे होंगे. किसी भी फसल की खेती को लेकर किसानों के मन में सवाल जरूर होते हैं. कुछ ऐसे ही सवाल लौकी की खेती करने वाले किसानों के मन में आते हैं. जैसे किस प्रकार से लौकी की खेती की जाए, की उत्पादन बढ़े और उन्हें नुकसान न उठाना पड़े. किसानों के ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आज हम कृषि जागरण की इस खबर से माध्यम से देंगे.
गर्मी की फसल की बुवाई फरवरी माह के आखिर या फिर मार्च के शुरुआत में की जाती है. गर्मी के मौसम में अगेती फसल लगाने के लिए किसान इसके पौधे पॉली हाउस से खरीद सकते हैं और इन्हें सीधे अपने खेतों में लगा सकते हैं. इसके लिए प्लास्टिक बैग या फिर प्लग ट्रे में कोकोपीट, परलाइट, वर्मीकुलाइट, 3:1:1 अनुपात रखकर इसकी बिजाई करें.
इसी तरह से इसकी दिसंबर महीने में बिजाई करके फरवरी महीने में रोपाई कर सकते हैं. बरसात की बुवाई जून माह के आखिर से जुलाई के पहले हफ्ते तक की जाती है.
खेती करते समय इन बातों का रखें ध्यान
लौकी की खेती में अच्छा उत्पादन पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किस्में पूसा नवीन, पूसा सन्तुष्टी, पूसा सन्देश लगा सकते हैं. इस फसल की बिजाई या रोपाई नाली बनाकर की जाती है. जहां तक सम्भव हो नाली की दिशा उत्तर से दक्षिण दिशा में बनाए और पौध व बीज की रोपाई नाली के पूर्व में करें.
लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम है. लौकी के पौधे अधिक ठंड को सहन नहीं कर सकते हैं. इसलिए इनकी खेती मुख्य तौर पर मध्य भारत और आसपास के क्षेत्रों में होती है. इसकी खेती के लिए 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे बेहत होता है. यानी गर्म राज्यों में इसकी खेती अच्छे से की जाती है.
इसके अलावा, खेती के लिए सही भूमि का चयन, बुवाई का समय, बीज उपचार, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन जैसे बातों को भी ध्यान में रखना जरूरी है. अगर किसान इन सब बातों को ध्यान में रखकर खेती करें तो उत्पादन भी अच्छा होगा और मुनाफा भी डबल होगा.
कितनी रखें नाली की दूरी
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गर्मियों मे नाली से नाली की दूरी 3 मीटर.
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बरसात मे नाली से नाली की दूरी 4 मीटर रखें.
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पौध से पौध की दूरी 90 सेंटीमीटर रखें.
ऐसे करें कीटों से बचाव
खेत में पौधे के 2 से 3 पत्तों की अवस्था में ही लाल कीड़े जिसे हम रेड पंम्पकीन बीटल भी कहते हैं का प्रकोप बहुत अधिक होता है. इससे बचने के लिए किसान भाई डाईक्लोरोफांस की मात्रा 200 एमएल को 200 मिली लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ की दर सें छिड़काव करें. इस कीट को मारने के लिए सूर्योदय से पहले ही छिड़काव करें. सूर्योदय के बाद ये कीट जमीन के अंदर छिप जाते हैं. जहां तक संम्भव हो बरसात में पौधों को मचान बनाकर उगाएं. इससे बरसात में पौधों के गलन की समस्या कम होगी और उपज भी अच्छी होगी.