मुंजा, मूंज या सरकंडा यह एक बहुवर्षीय और खरपतवार किस्म की घास है. ये गन्ना प्रजाति और ग्रेमिनी कुल की घास है, इसका प्रसारण जड़ों से फूटने वाले नये पौधों से होता है. मुंजा घास का पौधा हर मौसम में हरा-भरा रहता है, लम्बाई 5 मीटर तक होती है. मुंजा घास ऐसी मिट्टी में भी आसानी से पनप सकती है जहाँ कोई अन्य फ़सल और पौधा नहीं पनपता. इसके पौधे, पत्तियों, जड़ और तने जैसे सभी हिस्सों का औषधीय या अन्य तरह से उपयोग किया जाता है, इसलिए खेती से अच्छी कमाई की जा सकती है.
खेती का तरीका
सरकंडे को ढलानदार, रेतीली, नालों के किनारे और हल्की मिट्टी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगा सकते हैं. इसे एक मुख्य पौधे (मदर प्लांट) से तैयार होने वाली 25 से 40 छोटी-छोटी जड़ों के रूप आसानी रोप सकते हैं. जुलाई में जब मुंजा घास के पुराने पौधो से नये पौधो की कोपले और जड़ें फूटती हैं, तब कोपलों वाले पौधों को उखाड़कर मेड़ों, टिब्बों और ढलान वाले क्षेत्रों में रोपे.
नयी जड़ों से पनपने वाले पौधे 2 महीने में पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं, पौधों की रोपाई के लिए एक फ़ीट गहरा, एक फ़ीट लम्बा और एक फ़ीट चौड़ा गड्ढा खोदना चाहिए. गड्ढों के बीच की दूरी दो से ढाई फ़ीट होनी चाहिए, प्रति हेक्टेयर 30- 35 हज़ार पौधे लगा सकते हैं. खेत में पौधे लगाने के बाद उन्हें 2 महीने तक पशुओं की चराई से बचाना चाहिए. सूखे इलाकों में पौधों लगाने के बाद पानी जरूर देना चाहिए. इससे पौधे हरे और स्वस्थ रहते हैं और जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है.
सिंचाई
मुंजा के पौधों की जड़ों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती, मिट्टी में ज़्यादा नमी का होना जड़ों के लिए हानिकारक है. इससे उनका विकास भी धीमा पड़ सकता है ऐसे में सूखाग्रस्त इलाकों के लिए मुंजा की खेती काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती है.
कटाई
पहली बार क़रीब 12 महीने के बाद मुंजा को जड़ों से 30 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए. इससे दोबारा फुटान अधिक होता है आमतौर पर मुंजा की खेती में रासायनिक खाद की ज़रूरत नहीं पड़ती पर लेकिन मुंजा के पौधों का विकास सही नज़र नहीं आये तो प्रति हेक्टेयर 15-20 टन देसी खाद को डाल सकते हैं.
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उत्पादन
पूरी तरह से विकसित होने पर मुंजा के पौधे से 30 से 50 कल्लों की जड़ों का गुच्छा बन जाता है. आमतौर पर ऐसे गुच्छों से 30 से 35 सालों तक मुंजा घास का उत्पादन मिलता है. विकसित मुंजा के गुच्छे से कटाई हर साल करते रहना चाहिए ऐसा करने से ज़्यादा कमाई होती है वहीं मुंजा घास का ग्रामीण इलाकों में आज भी 7 से 10 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से दाम मिल जाता है.