कुल्फा एक ऐसा पौधा है, जो हमें अक्सर कई जगह पर लगा हुआ दिख जाता है.खेतों में,सड़क के किनारे, नालियों के किनारे खरपतवार के रूप में ये पौधे कहीं भी उग जाते हैं.
इसे नोनिया भी कहा जाता है. अलग-अलग क्षेत्रों के लोग इसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं.
कैसा दिखता है कुल्फा का पौधा
इनकी पत्तियां गोल होती हैं. इसमें बहुत ही छोटे पीले रंग के फूल आते हैं. धीरे-धीरे इन फूलों का आकार छोटे से कैप्सूल के समान दिखने वाले फल में बदल जाता है. इनके कैप्सूल जैसे फलों से छोटे काले चमकीले रंग के बीज निकलते हैं. पौधों की पत्तियां इस तरह की होती हैं कि तेज गर्मी का प्रभाव भी इस पौधे पर नहीं पड़ता, लेकिन तेज सर्दी ये पौधा नहीं सहन कर पाता है.
प्राचीनकाल से ही है इसकी महत्ता
अनादि काल से ही कुल्फा जंगलों में रहने वाले लोगों का भोजन रहा है. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान(modern medical science) की खोज से पहले ही लोग इस पौधे के चमत्कारी गुणों से परिचित थे, इसलिए इस की भाजी बड़े चाव से खाई जाती रही है. इसकी पत्तियों में हल्का खट्टापन होता है और इन पत्तियों को काटने पर हल्का लिसलिसापन भी नजर आता है.
क्या है कुल्फा के गुण
इसकी पत्तियों में विटामिन, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं. इसमें फैटी एसिड्स भी भरपूर होते हैं, जो कई बीमारियों के निदान में सहायता करते हैं. इसकी पत्तियों का सेवन करने से शरीर में फुर्ती और एकाग्रता आती है. इससे बीपी भी कंट्रोल रहता है और रक्त संचार भी बेहतर होता है. वजन घटाने के लिए भी यह बहुत उपयोगी है.
डब्ल्यूएचओ( WHO ) ने औषधीय पौधों की सूची में किया है शामिल
कुल्फा के गुणों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अपने बहु उपयोगी औषधीय पौधों की सूची में शामिल किया है. ये एंटीऑक्सीडेंट्स और कैरेटिनोइड्स का अच्छा स्रोत है.
इसलिए है कुल्फा की खेती का चलन
इसके औषधीय गुणों और स्वाद को देखते हुए आजकल कुल्फा की भाजी की मांग काफी बढ़ गई है, इसलिए इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती कई राज्यों में होने लगी है.
किस तरह बनाई जाती है कुल्फा की भाजी
कुल्फा की भाजी यूँ तो कई तरह से बनाई जाती है. आलू के साथ जिस तरह पालक बनाया जाता है, ठीक उसी तरह लहसुन, अदरक, हींग और खड़ी लाल मिर्च का तड़का देकर इसे बनाया जा सकता है. छाछ के साथ बेसन की कढ़ी में इसके पत्तों को डालकर भी इसके स्वाद का आनंद लिया जा सकता है.