भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था में कृषि रीढ़ की हड्डी के समान है. हमारे देश प्रदेश में हमारी आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है. हमेशा से और आज भी कृषि उत्पादन में बीजों की भूमिका अत्याधिक महत्वपूर्ण रही है. बीज खेती की नींव का आधार और मूलमंत्र है. अत: अच्छी गुणवत्ता वाले बीज से, फसलों का भरपूर उत्पादन प्राप्त होता है.
कृषक बन्धु जानते है, कि उत्तम गुणवत्ता वाला बीज सामान्य बीज की अपेक्षा 20 से 25 प्रतिशत अधिक कृषि उपज देता है. अत:शुध्द एवं स्वस्थ "प्रमाणित बीज" अच्छी पैदावार का आधार होता है.प्रमाणित बीजों का उपयोग करने से जहां एक ओर अच्छी पैदावार मिलती है वहीं दूसरी ओर समय एवं पैसों की बचत होती है,किसान भाई अगर अशुध्द बीज बोते व तैयार करते हैं तो उन्हे इससे न अच्छी पैदावार मिलती है और न बाजार में अच्छी कीमत.
अशुध्द बीज बोने से एक ओर उत्पादन तो कम होता ही है और दूसरी ओर अशुध्द बीज के फलस्वरूप भविष्य के लिए अच्छा बीज प्राप्त नहीं होता है बल्कि अशुध्द बीज के कारण खेत में खरपतवार उगने से नींदा नियंत्रण के लिए अधिक पैसा खर्चा करना एवं अन्त में उपज का बाजार भाव कम प्राप्त होता है,जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित लाभ नहीं प्राप्त होता है. यदि किसान भाई चाहें कि उनके अनावश्यक खर्चे घटें और अधिक उत्पादन व आय मिले तो उन्हे फसलों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन एवं उपयोग करना होगा. ऐसे में आज हम आपलोगों को शोधन कैसे करते है उसके बारे में बताते है-
बीज उपचार
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ग्राम थाईरम या एग्रोसन जी.एन. या कैपटन या विटावेक्स प्रति किलो बीज से उपचार किया जा सकता है.
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बीज को फंफूदनाशक के साथ अच्छी तरह मिला ले.
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बीज उपचारित करने के बाद उन्हें छाया में रख दें जिससे फफूदनाशक का असर रहे.
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अगर उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो, तो उन्हें उपचारित न करें.
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बोनी के लिए प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए जो कि प्राय:उपचारित रहते हैं.
सूर्यकिरणों से उपचार
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बीजों को ठन्डे पानी में भिगोकर गर्मी के महीनों में सुबह के समय 8 से 12 बजे तक रखे और दोपहर बाद सुखाए.
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ऐसा करने पर फंफूदनाशक के उपयोग बिना रोग नियंत्रण किया जा सकता है.
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सुखाते समय सावधानियां लेना चाहिए जिससे बीज की अकुंरण क्षमता बनी रहे.
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उगने के बाद रोग के लक्षण दिखने पर ऐसे पौधों को उखाड़ देना चाहिए.
बीज शोधन
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एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम से बीजों का उपचार कर सकते है.
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गुड़ का एक लीटर का घोल बनाकर उसमें 150 ग्राम के 5 पैकेट एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम को अच्छी तरह मिला लें.
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80-100 कि.ग्रा. बीजों पर छिड़के.
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कम मात्रा में बीजों को ले जिससे अच्छी तरह मिल जाए.
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हवा में छाया में सुखाए फिर तुरन्त बोनी कर दें.
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निवेशक की मात्रा बीज दर के अनुसार ही लें.
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निवेशक बीज को सूर्य की रोशनी और ताप से बचायें.
बीज दर
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पंक्ति बोनी के लिए बीज दर 90-100 कि.ग्रा./ हेक्टेयर है.
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केरा पोरा विघि या ड्रील से बोनी के लिए 80-100 कि प्रति हेक्टेयर है.
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गडढ़े बनाकर बोनी के लिए बीज दर 25-30 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है.
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असिंचित किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है.
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असिंचित देर से बोई किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 125 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है.
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सिंचित किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 100 कि.ग्रा प्रति हेक्टेयर है.