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Updated on: 23 November, 2022 10:34 AM IST
इस तरह की खेती में पारम्परिक खेती के मुक़ाबले सिर्फ़ 10 फ़ीसदी पानी की ज़रूरत पड़ती है.

ज़माना बदल रहा है, वक़्त और हालात बदल रहे हैं और इन्हीं के साथ बदल रहे हैं खेती (Agriculture) करने के तरीक़े. विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology) ने पारम्परिक खेती में कई ऐसे बदलाव किए हैं जिसने कृषि के कामों को आसान, सुगम और बेहतर बनाया है. इन्हीं बदलावों में से एक तक़नीक का नाम है, हाइड्रोपॉनिक्स.

क्या है हाइड्रोपॉनिक्स तक़नीक-

नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तक़नीक को हाइड्रोपॉनिक कहते हैं. हाइड्रोपॉनिक खेती पानी, बालू या कंकड़ों में की जाती है. इस तक़नीक के ज़रिये फ़सल पानी और उसके पोषण स्तर के माध्यम से बढ़ती है. यह खेती करने की ऐसी पद्धति है जिसमें किसी इमारत की छत, शहरों और ज़मीन की कमी वाली जगह पर खेती आसानी से की जा सकती है. इस तरह की खेती में पारम्परिक खेती के मुक़ाबले सिर्फ़ 10 फ़ीसदी पानी की ज़रूरत पड़ती है. इस विधि में पौधे को बस तीन महत्वपूर्ण चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है- पानी, प्रकाश और पोषक तत्व.

इस विधि से खेती ज़मीन के ऊपर की जाती है जिसके लिए मिट्टी के स्थान पर नारियल के सूखे छिलके से बनायी गई ख़ास सामग्री यूज़ की जाती है जिसे कोकोपीट कहते हैं।

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इस पद्धति से उगाई जाने वाली फ़सलें-

इस तक़नीक से खेती कर के आप शिमला मिर्च, गोभी, आलू, गुलाब, करेला, खीरा, पालक, टमाटर, धनिया, मिर्च, तुलसी और इसके अलावा कई तरह की फल-सब्ज़ियां उगा सकते हैं.

सरकार से मिलने वाली सब्सिडी-

भारत में केंद्र और राज्य सरकार ने हाइड्रोपॉनिक्स में निवेश करने के इच्छुक किसानों के लिए पूंजी लागत में सब्सिडी दी है. सब्सिडी प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने पशु चारा उगाने के लिए हाइड्रोपॉनिक्स अपनाने के लिए किसानों को 50% सब्सिडी प्रदान की है.

इसी तरह राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा प्रत्येक राज्य के लिए अलग से सब्सिडी उपलब्ध है. अपने संबंधित राज्य का विवरण प्राप्त करने के लिए किसान को एनएचबी की वेबसाइट पर जाकर अपने राज्यों में उपलब्ध सब्सिडी और योजनाओं की खोज करनी होगी. इस तरह किसान इसका फ़ायदा उठा सकते हैं.

इस सब्सिडी के साथ सिटी ग्रीन्स कैसे मदद करती है?

सिटी ग्रीन्स भारत में हाइड्रपॉनिक्स की एक बड़ी कम्पनी है जो केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली हाइड्रपॉनिक्स सब्सिडी को किसानों तक पहुंचाने में उनकी मदद करती है. यह सब्सिडी उन किसानों के लिए उपलब्ध है जो पॉलीहाउस में शिमला मिर्च, टमाटर या खीरे जैसे फल और सब्ज़ियां उगाने के इच्छुक हैं. इस सब्सिडी के तहत सरकार लागत का 50% खर्चा किसान को देती है. इस सब्सिडी के लिए बैंक लोन लेना आवश्यक है और इसके अलावा काफ़ी काग़ज़ी कार्यवाही होती है. इन प्रक्रियाओं को पूरा करने में सिटी ग्रीन्स मदद करती है.

हरिद्वार में सिटी ग्रीन्स का आगामी प्रोजेक्ट-

बहुत जल्द सिटी ग्रीन्स का एक प्रोजेक्ट हरिद्वार में आने वाला है जो कि इस क्षेत्र का सबसे विकसित हाइड्रपॉनिक प्रोजेक्ट होगा. यह प्रोजेक्ट एक एकड़ के क्षेत्र में लग रहा है. इसमें सर्दियों में शिमला मिर्च और गर्मियों में अंग्रेज़ी खीरे की खेती की जाएगी. तकनीकी दृष्टि से यह एक अत्यंत विकसित प्रोजेक्ट है जिसमें बहुत सारे कार्य मशीनों के द्वारा किए जाएंगे. पौधों को कब कितना पानी देना है, कितनी खाद देनी है, खाद किस मात्रा में मिलनी है, फ़ॉगर कब चलाने हैं, पॉलीहाउस के पर्दे कब ऊपर करने हैं और कब नीचे करने हैं और बहुत सारे इस तरह के और भी निर्णय जो कि एक साधारण फार्म में इंसानो के द्वारा लिए जाते हैं, इस फार्म में वो सारे निर्णय सिटी ग्रीन्स के द्वारा विकसित की गई ऑटोमेशन तकनीक के द्वारा लिए जाएंगे. इससे फसल में बढ़ोतरी होगी और किसानो को अधिक लाभ मिल पाएगा. यही नहीं इस फार्म में उगी सारी फसल सिटी ग्रीन्स ही ख़रीदेगी जिससे किसानों को फ़सल का सही दाम मिल पाएगा.

सिटी ग्रीन्स क्वेरी फ़ॉर्म -

अगर आप केंद्र सरकार द्वारा नियोजित सब्सिडी स्कीम का लाभ उठना चाहते हैं और एक हाइड्रपानिक फार्म लगवाना चाहते हैं तो-

9380642472 पर फ़ोन करके

 या

इस लिंक द्वारा क्वेरी फ़ॉर्म के ज़रिये आप सिटी ग्रीन्स टीम से कांटैक्ट कर सकते हैं.

English Summary: know all about hydroponics farming
Published on: 23 November 2022, 10:42 AM IST

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