उड़द (Urad) दलहनी फसलों में से एक है. यह एक ऐसी फसल है, जिसमें पोषक तत्वों का भंडार होता है. उड़द का सेवन दाल और दाल से बने कई पकवानों के रूप में किया जाता है. यह प्रोटीन, पोटेशियम कैल्शियम, आयरन, नियासिन, थायमिन और राइबोफ्लेविन से भरपूर होती है.
उड़द की फसल 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, इसलिए उड़द की खेती (Urad Cultivation ) से किसानों को कम समय में अच्छा और दोगुना मुनाफा मिलता है. किसानों की आय को और अधिक करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने उड़द की खेती से जुडी कुछ बातें साझा की हैं. तो आइये उन बातों को विस्तार से जानते हैं.
उड़द खेती से जुडी बातें (Things Related to Urad Farming)
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उड़द की खेती के लिए वैज्ञानिकों ने किसानों को जरुरी बातें बताते हुए कहा है कि अगर इसकी खेती के लिए किसान भाई कुछ बातों को ध्यान में रखकर करना चाहिए, इससे फसल से अच्छा और लागत से कईं गुना मुनाफा भी प्राप्त होता है.
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उड़द की खेती के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त होता है. अप्रैल का पहला सप्ताह खेती सबसे उपयुक्त समय माना जाता है.
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वहीँ, वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया है कि उड़द की खेती के लिए तापमान 30 से 40 डिग्री के बीच उचित माना जाता है.
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अगर मिट्टी की बात करें, तो उड़द फसल की खेती के लिए दोमट मिटटी उचित मानी जाती है, साथ ही मिटटी में अच्छी जल निकासी भी होनी चाहिए.
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वहीं सिंचाई मिट्टी की नमी अनुसार करनी चाहिए. अगर मिटटी ज्यादा शुष्क है, तो इसमें हफ्ते में दो बार सिंचाई करें. अन्यथा 15 दिन के अंतराल में करें.
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पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं, बीज को 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं.