Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 17 May, 2023 2:55 PM IST
करौंदा की खेती से किसानों को दो तरफा होगा फायदा

करौंदा की फसल किसानों को सिर्फ अच्छा मुनाफा ही नहीं बल्कि फसल को सुरक्षा देने का भी काम करती है. बता दें कि करौंदा को आप किसी भी तरह की फसल या फिर बागवानी के चारों तरफ सरलता से लगा सकते हैं. एक किसान भाई एक एकड़ में करीब 100 पेड़ों को अपने खेत में लगाकर हर महीने 20 हजार रुपए से अधिक की कमाई सरलता से कर सकता है. तो आइए आज के इस लेख में हम करौंदे की खेती व अन्य जरूरी जानकारी को विस्तार से जानते हैं...

करौंदा की खेती करते समय किसान

भाइयों को किसी भी तरह की इसकी देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि इसका पौधा झाड़ीदार व कांटे वाला होता है. जिसकी वजह से इसके पौधे के पास व्यक्ति या फिर कोई जंगली जानवर नहीं आता है. वहीं अगर हम इसकी फसल की बात करें तो इसकी फसल किसानों के लिए बेहद लाभदायक होती है. करौंदे के पौधों को आप किसी भी तरह की फसल के चारों तरफ सरलता से उगा सकते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करोंदे का पौधा बहुत ही ज्यादा सहिष्णु होता है. साथ ही इसके पौधे में सूखे को सबसे अधिक सहन करने की क्षमता पाई जाती है. इसलिए आपने देखा भी होगा की करौंदा का पौधा बंजर, रेतीली भूमि में सरलता से उग जाता है. इसी के चलते ठंडे इलाकों में करौंदा की खेती नहीं की जा सकती है. इसके पौधों की ऊंचाई लगभग 6 से 7 फीट तक होती है.

करौंदा की खेती के लिए मिट्टी

इसकी खेती से अच्छी उपज पाने के लिए किसान को ऐसे खेत का चुनाव करना है, जहां से उचित जल निकासी हो. इसके अलावा बलुई, दोमट और 6 से 8 PH मान वाली मिट्टी करौंदा की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है.

करौंदा का पौधा (Gooseberry Plant)

सिंचाई व्यवस्था

अच्छी फसल के लिए करौंदा की खेती को पहले साल में सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी होता है. क्योंकि इस दौरान पौधे के विकसित होने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए. गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए और वहीं सर्दी के सीजन में आपको इसकी सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है.

करौंदा की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा

किसान भाई को करौंदा की फसल में निम्नलिखित खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए.

खाद और उर्वरक

पौधों में खाद/उर्वरक की प्रति मात्रा

एक साल

2 साल

3 साल

4 साल

5 साल के बाद

गोबर की खाद (Cow Dung Manure)

10

10

15

20

20.00

यूरिया (Urea)

0.100

0.100

0.100

0.200

0.200

सुपर फॉस्फेट (Super Phosphate)

--

0.300

0.300

0.400

0.400

म्यूरेट ऑफ पोटाश (Muriate of Potash)

 

--

--

0.050

0.075

0.100

 

ये भी पढ़ें: करौंदा (Karonda) खाने के अनगिनत फायदे, वजन घटाने से लेकर सर्दी-खांसी में कारगर

करौंदा के फलों की तुड़ाई

मिली जानकारी के मुताबिक, इसके पौधों में बसंत ऋतु के समय फल आना शुरू हो जाते हैं और फिर जैसे ही बारिश होना शुरू होती है, तब इसके फल पकना शुरू हो जाते हैं.

ध्यान रहे कि करौंदा के पौधों की रोपाई के करीब 4 साल बाद इसके फलों की तुड़ाई किसान भाइयों को कर लेनी चाहिए. करौंदे का फल खाने में खट्टा लगता है. लेकिन इसके सेवन से पौष्टिकता एवं स्वास्थ्य में वृद्धि मिलती है. ये ही नहीं इसके फल का इस्तेमाल कई तरह के उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जाता है.

English Summary: Karonda ki Kheti: Earn 20 thousand rupees every month from this tree, farmer will get double profit
Published on: 17 May 2023, 12:01 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now