Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 9 November, 2022 6:00 AM IST
खेती कर रहे किसान ने बताया कि पुराने किस्म के कालानमक धान के पौधों की लंबाई 140 सेंटीमीटर थी , इससे पौध खेत में गिरकर खराब हो जाती थी जबकि नई किस्म के पौधों की लंबाई 95-100 सेंटीमीटर है. (फोटो-सोशल मीडिया)

कुशीनगर: माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने भ्रमण काल के दौरान कालानमक चावल के बीज श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश के लोगों को उपहार के रूप में दिए थे. अब इसे नया नाम दिया जा रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के 11 जिलों में इसकी खेती का रकबा लगातार कम हो रहा है. इस असंतुलन के लिए कृषि विशेषज्ञ लॉड्जिंग (Lodging) को जिम्मेदार मान रहे हैं.

'पारंपरिक कालानमक के पौधों में लॉजिंग की थी समस्या'

लॉड्जिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अनाज उत्पादन के कारण पौधे का शीर्ष भारी हो जाता है, तना कमजोर हो जाता है और पौधा जमीन पर गिर जाता है. इस मुद्दे को हल करने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने कालानमक चावल की दो किस्में बनाई हैं. इनके नाम पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 रखा गया है.

आईएआरआई का कहना है दोनों नाम आचार्य नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से रखा गए हैं. दोनों किस्मों की उपज पारंपरिक किस्म की तुलना में दोगुनी है. आईएआरआई और उत्तर प्रदेश कृषि परिषद किसानों को इनके जल्द से जल्द बीज मिल सकें इस पर कार्य कर रहे हैं.

'2007 से बीज उत्पादन किया था शुरू'

आईएआरआई के निदेशक ए.के. सिंह के अनुसार, उनका लक्ष्य नई किस्म के पौधों की उंचाई कम रखना था, जिससे इसके पौधे गिरें नहीं. योजना पारंपरिक कालानमक की गुणवत्ता के साथ अधिक उपज देने वाली किस्म को मिलाने की थी. हमने चावल की किस्म बिंदली म्यूटेंट 68, साथ ही पूसा बासमती 1176 के जीन को कालानमक के साथ आनुवांशिकी इंजीनियरिंग कर बीज उत्पादन 2007 से शुरु किया.  चावल की नई किस्म में बेहतर सुगंध और पोषण संबंधी विशेषताएं हैं.

ये भी पढ़ें-Sugarcane New Variety: गन्ने की नई किस्म का सफल परीक्षण, एक एकड़ से मिली 55 टन पैदावार; बुवाई का खर्च आधे से भी कम

खरीफ फसल तैयार कर चुके किसान ने बताए अनुभव

सिद्धार्थ नगर के किसान तिलक राम पांडे ने कहा है कि उनका परिवारी पीढ़ियों से पारंपरिक कालानमक धान की खेती और उत्पादन कर रहा है. हम इस चावल को भगवान बुद्ध का प्रसाद मानते हैं. नई किस्म का उन्होंने अपनी 8 एकड़ जमीन पर परीक्षण किया.

पुराने किस्म के पौधों की लंबाई 140 सेंटीमीटर थी जबकि नई किस्म के पौधों की लंबाई 95-100 सेंटीमीटर है. फसल पक चुकी है 20 नवंबर के आसपास इसकी कटाई होगी. फसल पर कीटों ने हमला किया लेकिन यह पिछली फसल की तुलना में बहुत कम था.

English Summary: Kalanamak Rice given as a gift to the people by Lord Buddha got a new name by IARI
Published on: 08 November 2022, 06:42 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now