Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 2 January, 2024 6:54 PM IST
इजरायल की कृषि तकनीकें

इजरायल जो बीते काफी समय से फिलिस्तान के साथ छिड़ी जंग को लेकर चर्चा में बना हुआ है. वही इजरायल पूरी दुनिया में कृषि की आधुनिक तकनीकों और जमीन के बेहतर इस्तेमाल के लिए भी जाना जाता है. आज भारत में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर कृषि तकनीकों का स्त्रोत इजराइल ही रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे भारत में खेती को नए आय़ाम पर पहुंचाने वाली सबसे बेहतर और उपयोगी इजरायली तकनीकों के बारे में..

इनमें सबसे पहला नाम है वर्टिकल फार्मिंग का. दरअसल, इजरायल में जमीन की काफी कमी है. ऐसे में इस मुश्किल का तोड़ निकालने के लिए इजरायल में वर्टिकल फार्मिंग तकनीक का आविष्कार किया गया. इसके तहत दिवारों पर एक फ्रेम बनाकर उस पर गमलों के जरिए खेती की जाती है. इसमें पौधों को एक आधार में लगाकर पंप की मदद से पानी दिया जाता है. साथ ही इनकी बढ़वार के लिए पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं. इस तकनीक में अलग-अलग पौधों के लिए अलग-अलग ढ़ांचा तैयार किया जाता है. जिनको तैयार करने में पहली बार में काफी खर्चा आता है मगर इसके बाद करीब 20-22 सालों तक ये ढ़ांचा खेती के लिए मजबूत बना रहता है.

वर्टिकल फार्मिंग में भी हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और एरोपोनिक्स तकनीक की चर्चा सबसे ज्यादा की जाती है. जहां हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें एक सोल्यूशन में पौधों को उगाया जाता है. वहीं, एरोपोनिक्स में हवा में ही पौधों को तैयार किया जाता है. इसके अलावा एक्वापॉनिक विधि को जलीय कृषि और हाइड्रोपोनिक्स का एक स्थायी मिश्रण भी कहा जाता है. इस विधि में मीठे पानी की मछली और सब्जियों को एक साथ उगाया जाता है.

जैसा कि सभी जानते हैं बीते काफी समय से देश दुनिया में पानी की कमी एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है. ऐसे में इजरायल की इन तकनीकों के माध्यम से खेती में इस्तेमाल होने वाली पानी की अधिक मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है. साथ ही, बड़े पैमाने पर पानी की बचत भी हो रही है. क्योंकि इन तकनीकों के माध्यम से किसान सिंचाई व्यवस्था को पूरी तरह से कंप्यूटर के जरिए नियंत्रित कर सकता है.

ऐसे ही एक और तकनीक है जिसे ड्रिप सिंचाई प्रणाली के नाम से जाना जाता है. इस तकनीक में पानी को धीरे-धीरे बूंद-बूंद करके फसलों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है. यह प्रणाली पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार नियंत्रित जल प्रदान करती है. इससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों की वृद्धि अनुकूल होती है, कुल मिलाकर खाद और पानी दोनो की बचत होती है. भारत में किसान इस पद्धति को बड़ी तेजी से अपना रहे हैं. खासकर राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में जहां पानी की कमी देखने को मिल रही है वहां किसानों के लिए ये तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है.

इसके बाद इजरायल की अन्य कृषि तकनीकों में पॉलीहाउस का भी काफी महत्व है. पॉलीहाउस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर किसान संरक्षित खेती के तहत करते हैं. इसकी मदद से किसान जलवायु नियंत्रित करके किसी भी मौसम में खेती कर सकते हैं. पॉलीहाउस तकनीक में सब्जियों, फलों या फूलों को उगाने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार किया जाता है. इसमें आंतरिक वातावरण की निगरानी और समायोजन के लिए सेंसर, नियंत्रक और जलवायु नियंत्रण उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है. बाकी तकनीकों की ही तरह पॉलीहाउस निर्माण में भी किसानों को भारी खर्च उठाना पड़ता है, मगर इसका इस्तेमाल बाद में किसान कई सालों तक कर सकते हैं.

अब आखिर में जानेंगे इजरायल की मशहूर ग्रो फिश एनीव्येहर तकनीक के बारे में... जिसका इस्तेमाल से रेगिस्तान जैसे सूखे पड़े इलाके में भी किसान मछलीपालन कर सकते हैं. दरअसल, इजरायल के जीरो डिस्चार्ज सिस्टम ने मछली पालन के लिए बिजली और मौसम की बाध्यता को खत्म कर दिया है. क्योंकि इस तकनीक के तहत मछलियों को एक टैंकर में पाला जाता है, जिसे हम आज के परिदृश्य में रिसर्कुलेशन एक्वाकल्चर सिस्टम भी कहते हैं.

English Summary: Israeli farming techniques Indian farmers pot farming vertical farming techniques in Israel irrigation system
Published on: 02 January 2024, 06:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now