Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 23 February, 2023 4:00 PM IST
इंजी ग्रामम योजना से अदरक की बंपर खेती

Kerala: तिरुवनंतपुरम से 35 किलोमीटर दूर कुलथूर गांव अपने धान और केले के लिए प्रसिद्ध हैं. अब यह गांव अदरक की खेती के लिए भी मशहूर हो रहा है. किसान वीके गिरिजनाधन नायर अपने ढाई एकड़ के प्लॉट पर केला, नारियल और कई तरह की सब्जियां उगाते थे, लेकिन पहली बार अदरक की खेती कर उन्होंने लोगों को हैरान कर दिया.

हालांकि अदरक की केरल के व्यंजनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. इसकी खेती तिरुवनंतपुरम जिले में व्यापक रूप से की जाती है. यह ज्यादातर इडुक्की में उगाया जाता है और वायनाड, पलक्कड़, कोझिकोड और कन्नूर में सैकड़ों किसान भी लीज की जमीन पर खेती कर रहे हैं.

इस साल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुलथूर ग्राम पंचायत के 250 किसानों को अदरक की खेती के लिए चुना गया था. इस योजना को 'इंजी ग्रामम' के नाम से जाना जाता है. यह पंचायत और कुलथूर कृषि भवन की एक पहल थी. इसकी पहली फसल से लगभग 10 टन अदरक की पैदावार हुई थी. यह लंबी पत्तियों और पतले डंठल के साथ खेतों में बहुत ही मनोरम लगते हैं, लेकिन एक बार अदरक की खुदाई हो जाने के बाद पौधे मर जाते हैं और फिर से खेती शुरू करनी पड़ती है.

चंद्रलेखा सीएस (कृषि अधिकारी, कुलथूर कृषि भवन, और सहायक कृषि निदेशक, परसाला ब्लॉक पंचायत) ने कहा कि अदरक की खेती के लिए कुल क्षेत्रफल लगभग दो हेक्टेयर था. यह आंकड़ा उन घरों में शामिल है, जहां फसल उगाने के लिए किसानों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है. इस योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को अदरक की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना था.

ये भी पढ़ेंः ऐसे करें अदरक की खेती, होगी बंपर पैदावार

अदरक की फसल पकने में आठ से 10 महीने का समय लगता है. खाद के रूप में मुर्गे की खाद, गाय का गोबर और सूखी पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है. इसमें कोई कीट आक्रमण और प्राकृतिक आपदाएं जैसी समस्याएं नहीं होती है. चंद्रलेखा कहती हैं ‘जिन लोगों ने इसे ग्रो बैग में लगाया था, वे प्रत्येक बैग से दो किलोग्राम फसल प्राप्त कर रहे हैं. उनमें से अधिकांश ने उपज को अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच वितरित कर दिया है. शेष फसल कृषि भवन द्वारा नल्लूरवट्टम और माविलक्कदावु में संचालित ए ग्रेड क्लस्टर बाजारों में बेची जाती है.

English Summary: ‘Inji gramam’, a new scheme to cultivate ginger in Kulathoor grama panchayat in Thiruvananthapuram, yields a bumper harvest
Published on: 23 February 2023, 01:56 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now