Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 2 April, 2020 9:09 AM IST

हींग की खेती में भारत धीरे ही सही, लेकिन प्रभावी रूप से आगे निकल रहा है. कई प्रयोगों की तरह इसकी खेती में भी सफलता तेजी से हासिल हो रही है. कुछ सालों पहले तक देश में किसी के लिए इसके बारे में सोचना भी मुश्किल था, लेकिन आज हींग के उत्पादन में हम आगे निकल रहे हैं.

गौरतलब है कि भारत में हींग की खपत 40 प्रतिशत से भी अधिक है. लेकिन इतनी खपत होने के बाद भी हींग हमारे यहां की मुख्य खेती नहीं है. यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन इसके पीछे कई कारण हैं. बाजार भाव के अनुसार इसका भाव 35000 रुपए प्रति किलो ग्राम तक है.

इन देशों में होती है हींग की खेती
बता दें कि हींग को सौंफ प्रजाति का पौधा ही माना जाता है. इसकी लम्बाई 1 से 1.5 मीटर तक हो सकती है और इसकी खेती खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती है वो हैं अफ़गानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान है.

कहां हो सकती है इसकी खेती
इसकी खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. भारत में ऐसा तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है. इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से हो सकती है. सरल शब्दों में कहें तो इसकी खेती के लिए न अधिक ठण्ड की जरूरत है और न ही अधिक गर्मी की.

भूमि
हींग की खेती के लिए ऐसी भूमि को उपयुक्त माना जाता है, जिसमें रेत, मिठ्ठी के ढेले व चिकनाई अधिक हो. सूरज की धूप सीधे अगर खेती वाले क्षेत्र पर पड़े तो ये सबसे अच्छा है. ध्यान रहे कि इसे छाया वाली जगह पर नहीं उगाया जा सकता. पौधों के बीच में 5 फीट की दूरी का होना भी जरूर है.

English Summary: india is going ahead in Asafetida farming know more about it
Published on: 02 April 2020, 09:12 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now