किसान की किसी भी फसल से तब अच्छी कमाई हो सकती है, जब तक उससे बंपर पैदावार मिलें. वहीं, बंपर पैदावार तब मिलती है, जब उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध हों. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेज रिसर्च (IIMR) ने दो ऐसी ही किस्मों का विकास किया है, जिनकी खेती से बंपर उत्पादन होगा. हाल के दिनों में, मक्का के 25 एकल क्रॉस संकर विकसित किए गए हैं और आईआईएमआर से सीवीआरसी (Central Variety Release Committee) के माध्यम से जारी किए. इनके नाम डीएमआरएच 1308 और डीएमआरएच 1301 हैं. इन्हें 2018 में रिलीज और नोटिफाइड किया गया था, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर मक्के की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
आईआईएमआर इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए "इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि" नाम से प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, इसलिए वो चाहता है कि किसान ऐसी किस्मों के मक्के की खेती करें जिसमें पैदावार ज्यादा हो और मक्के के माध्यम से किसान उर्जादाता बनें.
मक्का की डीएमआरएच 1308 किस्म
बात करें किस्मों पर तो संकर डीएमआरएच 1308 को बिहार, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में रबी मौसम में खेती के लिए रिक्मेंड किया गया है. यह रबी सीजन में 130 से 150 दिनों में पककर तैयार होने वाली एक उच्च उपज देने वाला संकर मक्का है, जिसमें आकर्षक पीले दाने का रंग, टर्किकम लीफ ब्लाइट और चारकोल रॉट रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोध है. पिछले चार वर्षों में, डीएमआरएच 1308 देश की डीएसी मक्का प्रजनक बीज मांग में 20.1% (2021), 26.1% (2022), 34.9% (2023) और 21.4% (2024) हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर रहा.
डीएमआरएच 1308 किस्म से पैदावार
संकर डीएमआरएच 1308 को संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके 10 विभिन्न निजी बीज कंपनियों ने लिया है. यह संकर किसानों के खेतों में 7.0 से 10.5 टन/हेक्टेयर उपज दे रहा है यानी 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक पैदावार है. बीज श्रृंखला में आपूर्ति किए गए बीज के लिए न्यूनतम गणना मापदंडों पर विचार करके, अब तक डीएमआरएच 1308 ने लगभग 7 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर किया है. इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में, राज्य बीज निगमों, एफपीओ, सहकारी समितियों और एसएमई के साथ भागीदारी मोड में डीएमआरएच 1308 के लिए 17394 क्विंटल संकर बीज का उत्पादन और आपूर्ति भी की गई.
मक्का की डीएमआरएच 1301 किस्म
डीएमआरएच 1301 को 2018 में पूर्वी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में रबी मौसम की खेती के लिए रिक्मेंड किया गया था. यह एक और मध्यम अवधि का संकर मक्का है. यह आकर्षक पीले दाने के रंग, टर्सीकम लीफ ब्लाइट, चारकोल रॉट रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोध वाली एक उच्च उपज देने वाली किस्म है.
डीएमआरएच 1301 किस्म की उपज क्षमता
इस संकर ने किसानों के खेतों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और इसकी उपज 6.5 से 10.5 टन/हेक्टेयर है यानी खेती की अच्छी प्रेक्टिस है तो इस किस्म से भी प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल से ज्यादा उपज ली जा सकती है. इसके जारी होने के बाद से, लगभग 3840 किलोग्राम डीएमआरएच 1301 प्रजनक बीज बीज सप्लाई चेन में जा चुके हैं. बीज सप्लाई चेन में आपूर्ति किए गए बीज के लिए न्यूनतम गणना मापदंडों पर विचार करके, अब तक डीएमआरएच 1301 ने लगभग 4.0 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर किया है. इसके अलावा, पिछले 4 वर्षों में, राज्य बीज निगमों, एफपीओ, सहकारी समितियों और एसएमई के साथ भागीदारी मोड में डीएमआरएच 1301 के लिए 8781 क्विंटल संकर बीज भी उत्पादित और आपूर्ति किए गए थे.
मक्का की एलक्यूएमएच 1 किस्म
मक्का की यह एक अन्य किस्म है, जिसका नाम एलक्यूएमएच 1 रखा गया है. यह लघु अवधि लेकिन उच्च उपज देने वाला जैव-फोर्टिफाइड संकर मक्का है, जो उच्च ट्रिप्टोफैन (0.70%) और लाइसिन (3.0%) सामग्री से समृद्ध है. इस संकर किस्म को 2020 में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (पहाड़ी क्षेत्र), मेघालय, सिक्किम, असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में खरीफ सीजन की खेती के लिए रिक्मेंड किया गया है.
एलक्यूएमएच 1 किस्म से पैदावार
खरीफ सीजन के दौरान किसानों के खेतों में इसकी उपज 6.0 से 8.0 टन/हेक्टेयर है. यानी इसमें 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज मिल सकती है. इसका दाना आकर्षक पीला है, छिलका निकलने का प्रतिशत अधिक है, यह चिलो पार्टेलस, टर्सीकम लीफ ब्लाइट, बैंडेड लीफ और शीथ ब्लाइट रोगों के प्रति सहनशील है. अब तक LQMH 1 को छह निजी बीज कंपनियों ने अपनाया है.