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Updated on: 2 January, 2023 4:16 PM IST
केसर की फसल में रोग-रोकथाम

केसर उत्पादन को लेकर भारत ने नया मुकाम हासिल कर लिया है. ताजा आंकड़ों से पता चला है कि पिछले एक दशक में भारत में केसर का उत्पादन ढाई गुना बढ़ गया है. इस लक्ष्य को पाने में राष्ट्रीय केसर मिशन का भी अहम रोल है, जिसके तहत केसर उगाने वाले किसानों की समस्याओं का समाधान हुआ और केसर उत्पादन में वैज्ञानिक तकनीकों से अच्छा उत्पादन लेने में मदद मिल रही है. उन्नत खेती से केसर की फसल मुनाफा देती है लेकिन फसल की सही देखभाल करना भी जरूरी होता है. नहीं तो, किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. ऐसे में आपको केसर में लगने वाले रोग-उपचार के साथ ही पौधों की देखभाल की जानकारी दे रहे हैं. 

केसर में लगने वाले 2 प्रमुख रोग 

1. बीज सड़न रोग- इस रोग को संबंध नाम से भी जाना जाता है जो बीज को पूरी तरह से सड़ा देता है, जिससे पौधा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है. सस्पेंशन कार्बेंडाजिम औषधि से उपचार करने से रोग की रोकथाम की जा सकती है. फिर भी यदि रोग दिखाई देता है तो सूक्ष्म के रूट्स पर 0.2 प्रतिशत सस्पेंशन शेकेंडाजिम का उपचार करें. 

2. मकड़ी का जाला रोग- यह रोग संबंधी तत्वों के होने के कुछ समय बाद दिखाई देता है. इस तरह के रोग से संबंधी प्रोजेक्ट प्रभावित होता है. बचाव के लिए 8 से 10 दिन पुरानी छाछ की बड़ी मात्रा को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 

उर्वरक की मात्रा-

केसर के पौधे को उर्वरक की ज्यादा जरूरत होती है. इसलिए शुरुआत में जब खेतों की जुताई करें तब 10-15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें. फिर जो किसान खेत में रासायनिक खाद डालना चाहते हो वो एन.पी.के. की उचित मात्रा खेत में आखिरी जुताई से पहले छिड़कना चाहिए. इसके बाद हर सिंचाई के साथ खेत में वेस्ट डिकम्पोजर पौधों को देना चाहिए.

पौधों की देखभाल

केसर के पौधों की देखभाल की जरूरत उन भागों में होती है जहां बर्फ नहीं पड़ती. इसके पौधे सर्दी के मौसम को तो आसानी से सहन कर लेते हैं लेकिन गर्मियों में पौधों को सामान्य तापमान की जरूरत होती है. क्योंकि अधिक गर्मी में पौधे नष्ट हो सकते हैं. इसलिए अधिक गर्मी से बचाने के लिए पौधों को छाया की जरूरत होती है.

खरपतवार नियंत्रण

केसर के पौधे को शुरुआत में खरपतवार नियंत्रण की जरूरत होती हैं. ऐसे में जब बीज अंकुरित हो जाए तो उसके लगभग 20 दिन बाद खेत की हल्की नीराई गुड़ाई कर दें. उसके बाद लगभग 20 से 30 दिन के अंतराल में दो गुड़ाई और करना चाहिए. इससे पौधा अच्छी तरह से बढ़ता है. 

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तुड़ाई-

पौधे रोपाई के लगभग 3 से 4 महीने बाद ही केसर देना शुरू कर देते हैं. केसर के फूलों पर दिखाई देने वाली पीली पंखुडियां जब लाल भगवा रंग की दिखाई देने लगे तब उन्हें तोड़कर संग्रहित कर लेना चाहिए. उसके बाद इन्हें किसी छायादार जगह पर सूखा लेना चाहिए. जब केसर पूरी तरह सूख जाए तो उसे किसी कांच के बर्तन में रखना चाहिए.

English Summary: If you want to earn profit in saffron cultivation, then take care of the crop, know about diseases and prevention
Published on: 02 January 2023, 04:23 PM IST

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