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Updated on: 4 January, 2025 12:09 PM IST
आलू में लगने वाले प्रमुख कीट-व्याधियां (Image Source: Pinterest)

Potato Crop: आलू की फसल पर कीट और बीमारियों का प्रकोप अक्सर देखने को मिलता है, जो फसल की उपज को प्रभावित कर सकता है. सही समय पर इनकी पहचान और प्रबंधन करना जरूरी है. किसान इनकी पहचान और प्रबंधन कर फसल को बचाकर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं. देखा जाए तो आलू की फसल/Potato Crop में सफेद भृंग, पिछात झुलसा और अगात झुलसा रोग लगने की संभावना सबसे अधिक होती है. सफेद भृंग जैसे कीट आलू की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि झुलसा रोग पत्तियों को कमजोर कर फसल को खराब कर देता है.  ऐसे में आइए आज के इस आर्टिकल में हम आलू की फसल को इन रोगों से बचाने के कुछ बेहतरीन उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे.

आलू में लगने वाले प्रमुख कीट-व्याधियां

1. सफेद भृंग

यह भूरे रंग का कीट है, जिसकी मादा मई से अगस्त के बीच मिट्टी में अंडे देती है. इन अंडों से मटमैले रंग के पिल्लू निकलते हैं, जो आलू की जड़ों को खा जाते हैं. इससे फसल सूखने लगती है.

प्रबंधन:

  • शाम 7 से 9 बजे के बीच 1 लाईट ट्रैप प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें.
  • बुआई के समय कार्बोफ्यूरॉन 3 जी, 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की मात्रा का प्रयोग करें.

2. पिछात झुलसा

इस रोग में आलू की पत्तियां किनारों और सिरों से सूखने लगती हैं. सूखे हुए हिस्से को रगड़ने पर खरखर की आवाज आती है.

प्रबंधन:

  • 15 दिनों के अंतराल पर मैंकोजेब 75% घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  • अधिक प्रकोप होने पर निम्नलिखित दवाओं का 2-2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें:
    • मैंकोजेब 64% + मेटालैक्सील 4%
    • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63%
    • मेटालैक्सील 18% + मैंकोजेब 64%

3. अगात झुलसा

इस रोग में पत्तियों पर भूरे रंग के संकेंद्रित रिंगनुमा गोल धब्बे बनते हैं. इन धब्बों के बढ़ने से पत्तियां झुलस जाती हैं.

प्रबंधन:

  • खेत को साफ-सुथरा रखें और स्वस्थ व स्वच्छ बीज का उपयोग करें.
  • निम्नलिखित दवाओं का 2-2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें:
    • मैंकोजेब 75% घुलनशील चूर्ण
    • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63%
    • जिनेब 75% घुलनशील चूर्ण
    • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% घुलनशील चूर्ण

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महत्वपूर्ण सूचना

अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल-फ्री नंबर 18001801551 पर संपर्क करें या अपने जिले के सहायक निदेशक (पौधा संरक्षण) से संपर्क करें.

English Summary: Identification management major pests diseases potatoes
Published on: 04 January 2025, 12:14 PM IST

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