नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 15 July, 2020 1:50 PM IST
Fall Army Worm

फॉल आर्मीवर्म (स्पोडोप्टेरा फ्रुजीपरडा) अमेंरिकी मूल का एक विनाशकारी कीट है जिसका हाल ही में भारत में आक्रमण देखा गया और जो वर्तमान में मक्का में आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है. फॉल आर्मीवर्म की एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में 1000 से से अधिक अंडे देती है, जो बालों से ढके होते है. 

अण्डों का ऊष्मायन अवधि 4 से 6 दिन तक होती है. नए जन्मे लार्वा हैचिंग साइट से नई पत्तियों की निचली सतह की बाह्य परतों पर खाने के लिए पहुंचते हैं. लार्वा का विकास 14 से 18 दिन में होता है.

इस दौरान यह इंस्टार नामक छः अवस्थाओं से गुजरता है. और उसके बाद प्यूपा में विकसित होता है. प्यूपा लाल भूरे रंग का होता है. जो 7 से 8 दिनों के बाद वयस्क कीट में परिवर्तित हो जाता है वयस्क पतंगे 4 से 6 दिनों तक जीवित रह सकते हैं.

फॉल आर्मीवर्म की हानिकारक अवस्था (Harmful stage of fall armyworm)

फॉल आर्मीवर्म की केवल लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को नुकसान पहुँचती है. इसके लार्वा मुलायम त्वचा वाले होते है जो बढ़ने के साथ हल्के हरे या गुलाबी से भूरे रंग के हो जाते है.

प्रबंधन

  • मानसून पूर्व शुष्क बुवाई करना ज्यादा प्रभावी है. शुष्क बुवाई नहीं करने पर मानसून वर्षा के साथ ही बुआई करें, विलंब न करें. देरी से बोई गई फसल में इस कीट का प्रकोप ज्यादा गंभीर होता है.

  • अनुशंसित पौध अंतरण पर बुआई करें.

  • संतुलित उर्वरकों का अनुशंसित मात्रा में, विशेषकर नाईट्रोजन की मात्रा का प्रयोग अधिक न करें.

  • जिन क्षेत्रों में खरीफ की मक्का ली जाती है, उन क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मक्का न लें तथा अनुशंसित फसल चक्र अपनाएं.

  • अंतवर्ती फसल के रूप में दलहनी फसल मूंग, उड़द लगाएं.

  • फसल बुआई के तुरंत बाद पक्षियों के बैठेने के लिए शरण स्थल बनाने हेतु 10 टी आकार की खूँटिया खेत में लगावें.

  • फॉल आर्मीवर्म की निगरानी हेतु 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से अंकुरण के पर या उससे पहले लगावें. कीट की बढ़ती हुई संख्या को नियंत्रित करने के लिए नर पतंगों को फसाने के लिए 15 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकर की दर से लगावें.

  • पहला छिडकाव नीम बीज गिरी सत (NSKE) 5% या नीम तेल 1500 पीपीएम 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

  • कीट के प्रकोप की प्रारंभिक अवस्था में जैविक कीटनाशक के रूप में बेसिलस थुरिंजिएन्सिस (Bt) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव सुबह अथवा शाम के समय करें.

  • लगभग 5-10% प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशक क्लोरेट्रानिलिप्रोएल 18.5% एससी (कोराजन) 60 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. या थियामेंथोक्जाम 12.6% + लैम्ड़ा साहइलोथ्रिन 9.5% जेडसी (अलीका) 50 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

लेखक: एस. के. त्यागी
कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.)

English Summary: Identification and managment of fall armyworm in maize
Published on: 15 July 2020, 01:55 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now