देश के किसानों की भलाई के लिए भारत के कृषि संस्थानों के द्वारा आए-दिन कुछ न कुछ नए रिसर्च किए जाते रहते हैं. इसी कड़ी में आईआईएचआर-बेंगलुरु ने हाल ही में अद्वितीय विशेषताओं के साथ कटहल की नई किस्म की पहचान की है. जोकि बाकी कटहल की किस्मों से एक दम अलग है. बताया जा रहा है कि कटहल की नई किस्म व्यावसायिक प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त है. दरअसल कटहल की इस नई किस्म का नाम 'सिद्दू' और 'शंकरा' है. यह किस्म तीसरी अनूठी कटहल किस्मों में है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बेंगलुरु के बाहरी इलाके हेसरघट्टा में किसान नागराज के खेत में पाई जाने वाली कटहल की इस नई किस्म ने अपने असाधारण स्वाद, पोषण मूल्य और जैम, स्क्वैश और फ्रूट बार जैसे उत्पाद बनाने की क्षमता के कारण आईआईएचआर वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है.
मिली जानकारी के मुताबिक, इस नई कटहल की किस्म (New Jackfruit variety) का वजन लगभग 25 से 32 किलोग्राम तक है. निदेशक संजय सिंह के मार्गदर्शन में आईआईएचआर पिछले तीन वर्षों से कटहल के इस पेड़का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है. इसकी विशेषताओं का अध्ययन कर रहा है और इसके पोषण मूल्य को निर्धारित करने के लिए परीक्षण कर रहा है.
इस नई किस्म की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यह किस्म बिना सीजन के भी यानी की अगस्त से अक्टूबर के महीने में भी अच्छी पैदावार देने की क्षमता है. यह दुर्लभ विशेषता कटहल की वांछनीयता और बाजार क्षमता को बढ़ाने में मददगार है.
इस किस्म की अपार क्षमता को पहचानते हुए, आईआईएचआर नागराज को उनकी किस्म को पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के साथ पंजीकृत करने में सहायता कर रहा है. एक बार पंजीकृत होने के बाद, नागराज को इस किस्म के संरक्षक के रूप में विशेष अधिकार प्राप्त होंगे. इसके बाद आईआईएचआर (IIHR) और नागराज विविधता को बढ़ाने के लिए एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेंगे.
तुमकुरु के हिरेहल्ली में आईआईएचआर के कृषि विज्ञान केंद्र के विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिक केएन जगदीश ने सबसे पहले इस असाधारण फल को देखा और इसे आईआईएचआर वैज्ञानिकों के ध्यान में लाया.
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कटहल की उन्नत किस्में
आइए अब देशभर में उगने वाली कटहल की किस्मों (Varieties of Jackfruit) पर भी एक नजर डाल लेते हैं, जिसे किसान अपने खेत में उगाकर अच्छा लाभ पा सकते हैं. जिनके नाम खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी आदि हैं. इसके अलावा हमारे देश में बारहमासी कटहल की भी खेती अधिक की जाती है.