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Updated on: 29 June, 2020 1:24 PM IST

दूध उत्पादन कई कारको पर निर्भर करता है, जिसमें उत्तम नस्ल और बेहतर चारा प्रमुख है. कई शोधों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि संतुलित आहार दूध उत्पादन को कई गुणा तक बढ़ा सकते हैं. लेकिन पूरे वर्ष हरे चारे का प्रबंध करना इतना आसान भी नहीं है. विशेषकर ऐसे स्थानों पर जहां सिंचाई के साधन न के बराबर है, वहां पशुओं के लिए हरे चारे का उत्पादन करना किसी चुनौती की तरह है. खैर, अब इस समस्या को हाइड्रोपोनिक विधि से सुलझाया जा सकता है. चलिए आपको बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक विधि दूध उत्पादन के लिए नया विकल्प बनकर कैसे आई है.

हाइड्रोपोनिक्स विधि का तात्पर्य क्या है?

हाइड्रोपोनिक्स को कई जगह पर हाइड्रो-कल्चर भी कहा जाता है. सामान्य भाषा में कहा जाए, तो ये एक नियंत्रित वातावरण में मिट्टी के बिना घर में की जाने वाली खेती है. इस खेती में सभी पोषक तत्व पानी में घुले रहते है और वहीं से पौधें अपना भोजन जड़ों द्वारा प्राप्त करते हैं.

सूरज की रोशनी का है बड़ा योगदान

इस तकनीक में पौधों को सभी चीजें नियमित आधार पर दी जाती है एवं पानी का स्तर पौधों की जरूरतों को देखते हुए रखा जाता है. सूरज की रोशनी इस तकनीक में बड़ी भूमिका निभाती है और पौधों को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करती है.

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प्रयोग एवं प्रणाली के तरीके

अगर आप इस इस विधि से हरे चारे को तैयार करना चाहते हैं, तो बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें. अच्छे अंकुरण के लिए ऐसा करना बढ़िया है. इसके बाद इन बीजों को निकालकर साफ जूट के बोरे में ढक दें. बीजों के अंकुरित होने पर उन्हें हाइड्रोपोनिक्स मशीन की ट्रे में रख दें. इस दौरान ध्यान दें कि बीजों को ट्रे में अच्छे से फैला दिया जाए.

पानी की छिड़काव करते रहें

प्रत्येक ट्रे में 1 किलो तक बीज रखना ही अच्छा है. चार से दस दिन तक पौधों की वृद्धि होती है, इसलिए इस दौरान खास ध्यान दिया जाना चाहिए. जमे हुए बीजों पर लगातार पानी का छिड़काव करते रहें. इस प्रक्रिया के माध्यम से 7 से 8 दिन में पशुओं को खिलाने योग्य हरा चारा उपलब्ध हो जाएगा.  

(आपको हमारी खबर कैसी लगीइस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालनकिसानीसरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैंतो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: hydroponic method is very useful for cattle food production know more about it
Published on: 29 June 2020, 01:27 PM IST

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