किसानों के लिए वरदान बनी हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’, कम समय में मिल रहा है अधिक मुनाफा, जानें खेती का तरीका और विशेषताएं कृषि ड्रोन खरीदने पर मिलेगा 3.65 लाख रुपए तक का अनुदान, ऐसे उठाएं राज्य सरकार की योजना का लाभ, जानें डिटेल खुशखबरी! LPG गैस सिलेंडर में हुई भारी कटौती, जानें कहां कितने रुपए हुआ सस्ता किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 1 July, 2025 12:58 PM IST
गाजर की हाइब्रिड किस्म ‘हिसार रसीली’, फोटो साभार: कृषि जागरण

भारत में सब्जियों की खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन चुकी है और गाजर (Carrot) इसमें एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह न केवल पोषण से भरपूर होती है बल्कि इसके अनेक उपयोग भी हैं जैसे कच्चा सलाद, पकवानों में इस्तेमाल, अचार, और जूस। हाल के वर्षों में किसानों की रुचि गाजर की व्यावसायिक खेती की ओर तेजी से बढ़ी है, विशेषकर जब उच्च उत्पादन देने वाली किस्में उपलब्ध हो चुकी हैं। ऐसी ही एक शानदार किस्म है हाइब्रिड गाजर ‘हिसार रसीली’, जिसे शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स ने विकसित किया है।

यह गाजर खाने में मुलायम, गहरे नारंगी रंग की, रसदार और शंकु आकार की होती है। इसकी परिपक्वता अवधि 90-100 दिनों की है और यह बहुत अच्छी पैदावार देती है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में हम हाइब्रिड गाजर हिसार रसीली (Hisar Rasili) की खेती की पूरी प्रक्रिया से लेकर विशेषताओं और फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

गाजर की हाइब्रिड किस्म ‘हिसार रसीली’, फोटो साभार: कृषि जागरण

1. गाजर की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

गाजर की सफल खेती के लिए भूमि का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी में सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं। ऐसी मिट्टी जिसमें जलनिकास की उत्तम व्यवस्था हो और लवणता न हो, गाजर के लिए आदर्श होती है। यदि खेत की निचली सतह सख्त या पथरीली हो, तो जड़ों के फोर्किंग (गांठ-पंजा) की समस्या आ जाती है जिससे उपज की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

भूमि की तैयारी:

  • खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।

  • इसके बाद ट्रैक्टर या हैरो से मिट्टी को भुरभुरी बनाएं।

  • गोबर की सड़ी खाद और DAP को अच्छी तरह मिलाकर खेत तैयार करें।

गाजर की हाइब्रिड किस्म ‘हिसार रसीली’, फोटो साभार: कृषि जागरण

2. बुवाई का सही समय और विधि

गाजर की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय सितंबर का महीना है। यदि बुवाई बहुत जल्दी (जुलाई-अगस्त) कर दी जाती है तो गर्म मौसम के कारण अंकुरण सही नहीं होता और पौधों में कई जड़ें निकल आती हैं जिससे गुणवत्ता गिरती है। गाजर सफ़ेद भी रह सकती है इसलिए गाजर की बिजाई सितंबर माह से पहले न करें।

बुवाई की विधि:

  • बीजों को लाइन में या मेड़ों पर बोना चाहिए।

  • मेड़ों की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच 8-10 सेमी रखें।

  • बीज मात्रा: 6-8 किलोग्राम प्रति एकड़।

  1. खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

उच्च गुणवत्ता वाली उपज के लिए खाद और उर्वरकों का संतुलित प्रयोग आवश्यक है।

सिफारिशें:

  • 20 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति एकड़ जुताई के समय डालें।

  • 24 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम फास्फोरस और 12 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ डालें।

  • नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा सिंगल सुपर फास्फेट व म्यूरिट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय और नाइट्रोजन की शेष मात्रा 3-4 सप्ताह बाद डालें।

  • पोटाश की संपूर्ण मात्रा बुवाई के समय दें, चाहे मिट्टी में इसकी उपलब्धता हो या नहीं।

गाजर की हाइब्रिड किस्म ‘हिसार रसीली’, फोटो साभार: कृषि जागरण

4. सिंचाई प्रबंधन

गाजर में 5-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। यदि खेत में नमी की कमी हो तो पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। ध्यान रहे कि अधिक सिंचाई करने से फूंस (रेशे) बनने लगते हैं जिससे गाजर सफेद हो जाती है।

सिंचाई सुझाव:

  • सिंचाई करते समय डोलियों में 3/4 तक ही पानी भरें।

  • बाद की सिंचाइयां मौसम और मिट्टी की नमी के अनुसार करें।

  • देरी से सिंचाई करने से गाजर फट सकती है जिससे गुणवत्ता खराब होती है।

5. निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण

गाजर की फसल के शुरुआती 3-4 सप्ताह में खरपतवार नहीं पनपते हैं, लेकिन बाद में यह समस्या बन सकती है।

प्रबंधन:

  • यदि खरपतवार की अधिकता हो तो खुरपी के द्वारा खरपतवार निकाल देने चाहिए।

  • ऐसी जगहों पर जहां बिजाई लाइनों मे की गई है वहां करीब 3-4 सप्ताह बाद डोल पर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।

गाजर की हाइब्रिड किस्म ‘हिसार रसीली’, फोटो साभार: कृषि जागरण

6. खुदाई और फसल की तुड़ाई

गाजर की खुदाई 90-95 दिनों में करनी चाहिए। यदि फसल को अधिक समय तक खेत में छोड़ा गया तो वह फीकी और रूखी हो जाती है जिससे उसका वज़न और गुणवत्ता दोनों गिर जाते हैं।

तरीका:

  • खुदाई से पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।

  • फावड़े की सहायता से खुदाई करें, ध्यान रहे गाजर कटे नहीं।

7. गाजर की प्रमुख समस्याएं और उनका समाधान

समस्या

कारण

समाधान

गांठ पंजा बनना

सख्त या भारी भूमि

गहरी जुताई, भुरभुरी मिट्टी

सफेद गाजर बनना

अधिक पानी, जल भराव

जल निकासी की उचित व्यवस्था

जड़ों का फटना

देर से सिंचाई

नियमित सिंचाई कार्यक्रम

कम रंग और स्वाद

जल्दी बुवाई

सितंबर में बुवाई करें

8. हिसार रसीली गाजर: उन्नत किस्म, अनेक लाभ

हिसार रसीली (Hisar Rasili) एक हाइब्रिड गाजर है जिसे शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स द्वारा विकसित किया गया है। इसकी विशेषताएं इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती हैं:

मुख्य विशेषताएं:

  • परिपक्वता अवधि: 90-100 दिन

  • रंग: गहरा नारंगी

  • लंबाई: 30-35 सेमी

  • मोटाई: 2.5-3.0 सेमी

  • शंकु आकार की जड़ - बेहतर मार्केटिंग और पैकिंग में सुविधा

  • नरम व रसदार - खाने में स्वादिष्ट और जूस के लिए उत्तम

  • उत्कृष्ट उपज - एक एकड़ से अच्छी मात्रा में उत्पादन

फायदे:

  • अधिकतम उपज और कम समय में तैयार होने की क्षमता

  • उच्च गुणवत्ता जो बाजार में अच्छी कीमत दिलाती है

  • रोगों के प्रति बेहतर सहनशीलता

  • उपभोक्ता और प्रोसेसिंग दोनों के लिए आदर्श

शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स द्वारा विकसित हिसार रसीली (Hisar Rasili) हाइब्रिड गाजर किसानों को उच्च उपज, बेहतर गुणवत्ता और अधिक मुनाफा देने में सक्षम है। यदि इस किस्म की खेती सही भूमि चयन, समय पर बुवाई, उर्वरकों के संतुलित प्रयोग और उचित सिंचाई प्रबंधन के साथ की जाए, तो यह किसानों के लिए एक अत्यंत लाभकारी और सुनहरा व्यवसाय बन सकती है।

English Summary: Hybrid Carrot Seed Hisar Rasili Delivers Good Quality, High Yield & Maximum Profit to the Farmers
Published on: 01 July 2025, 01:02 PM IST

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