हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक पानी में पौधो को उगाने की एक नई वैज्ञानिक तकनीक है. इसमें मिट्टी का इस्तेमाल बिल्कुल ही नहीं किया जाता है और पौधों की जड़ो को पोषक तत्व पानी में घुलनशील अवस्था मे दिए जाते हैं. इस तकनीक का यह लाभ है कि इसे कम जगह में लगाया जा सकता है और पारंपरिक तरीके की तुलना में इस माध्यम में अधिक फसल की पैदावार की जा सकती है. इससे पानी की बचत करने में भी आसानी होती है और खेती के लिए किसी मौसम पर निर्भर भी नहीं होना पड़ता है. इसमें पौधों को खर पतवार से सुरक्षा की भी कोई आवश्यकता नहीं होती हैं. इस सिस्टम को एक बार लगाने के बाद ज्यादा मजदूरों की जरुरत नहीं होती है. यह होइड्रोपॉनिक्स तकनीक आने वाले भविष्य के लिए एक बेहतर और दूरदर्शी तकनीक मानी जा रही है. लेकिन किसान इसको किन माध्यमो से अपना सकते हैं. आइये जानते हैं इस लेख के माध्यम से ....
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक की शुरुआत करने के इन बातों का रखे ध्यान
बजट
इस तकनीक की शुरुआत आपको अपने बजट के अनुसार करनी होगी. आप शुरु में कम पैसो के साथ भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं और लाभ होने वाले लाभ के जरिए इसे बड़ा रुप दिया जा सकता है.
जगह
हाइड्रोपॉनिक्स के माध्यम से खेती कर बेहतर पैदावार के लिए एक अच्छी जगह का होना जरुरी होता है. इसके पौधे विभिन्न आकार के हो सकते है. आप अपनी जगह के आधार पर ही पौधों को चयन कर सकते हैं.
तकनीक का ज्ञान
हाइड्रोपॉनिक्स के माध्यम से खेती करने के लिए आपको वैज्ञानकि चीजों को बारे में जानकारियां होना जरुरी है. इसके लिए कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से संपर्क करना होता है और समय-समय पर इनकी सलाह की जरुरत होती है. इसके साथ ही आपको पौधों की फिजियोलाजी को भी समझना अत्यंत आवश्यत होगा.
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हाइड्रोपोनिक सिस्टम के प्रकार
न्यट्रीशन फिल्म तकनीक
हाइड्रोपॉनिक्स की इस तकनीक में पीवीसी चैनल का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पौधे नेट कप में लगा कर चैनलों में स्थापित किए जाते हैं और पानी एवं पोषक तत्वों को पौधों की जड़ों में प्रवाहित किया जाता है और अतिरिक्त पोषक तत्व वापस दूसरे बाहरी ड्रम में आ जाता है. यह तकनीक पौधों को आसानी से पर्याप्त मात्रा में पानी व ऑक्सीजन पदान करती है. यह न्यट्रीशन फिल्म तकनीक छोटी जड़ वाले पौधों के लिए ज्यादा कारगर होती है. यह प्रणाली आमतौर पर छोटे किसानों और घरों के बगीचों में खेती के लिए उपयोग की जाती है.
ड्रिप तकनीक
ड्रिप तकनीक के माध्यम से खेती एक सबसे किफायती हाइड्रोपोनिक सिस्टम का उदाहरम है. इस तकनी में विभिन्न प्रजाति के पौधों को उगाया जाता है. यह तरीका बागवानी के लिए सबसे सफल माना जाता है. इसमें पौधों की सिंचाई के साथ पोषक तत्वों को एक ट्यूब के माध्यम से पंप किया जाता है, जो सीधे पौधों के जड़ो तक भेजता है. इसकी हर एक ट्यूब के अंत में एक ड्रिप एमिटर होता है जो पानी की क्षमता को नियंत्रित करता है. यह प्रणाली आपकी खेत के अनुसार छोटी या बड़ी हो सकती है. इसे स्वचालित या गैर- परिसंचारी प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है.
जल कृषि प्रणाली
इस जल कृषि प्रणाली तकनीक में पौधे की जड़ों तक पोषक तत्व सीधे पहुचाया जाता है. पौधों के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. वायु को पौधों तक विसारक या एयर पंप के माध्यम से भेजा जाता है, जो पौधे पानी के साथ ग्रहण करने में सक्षम होते है. पौधे इस माध्यम से पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर लेते हैं, जिस कारण इन पौधों का विकास अन्य की तुलना में जल्दी होता है.
ईबब और फ्लो सिस्टम
ईबब और फ्लो सिस्टम हाइड्रोपोनिक सिस्टम का उपयोग होम गार्डनर्स में किया जाता है. इस प्रणाली में पौधों को एक बड़े से बेड पर रखा जाता है, जिनका निर्माण रॉकवूल या पेर्लाइट से होता है. पौधों को लगाए जाने के बाद ग्रो बेड में पोषक तत्व युक्त पानी का घोल पौधों की जड़ों तक भर दिया जाता है. इस प्रणाली के माध्यम से सिर्फ कुध खास प्रकार के पौधों को ही उगाया जा सकता है. इनमें खाने योग्य सब्जियां, गाजर, मूली और शलजम को उगाया जा सकता है.
एरोपोनिक सिस्टम
एरोपोनिक सिस्टम में सिंचाई के लिए स्प्रे नोजल को पौधों की जड़ों के पास लगाया जाता है. इस नोजल के जरिए पौधे की जड़ों पक पोषक तत्व का छिड़काव किया जाता है. यह स्प्रे नोजल पानी के पंप से जुड़े होते हैं और पंप के दबाव पर काम करता है.
इस तकनीक का इस्तेमाल जलाशय की मदद से किया जाता है. इससे लगभग सभी प्रकार के पौधों को विकसित किया जा सकता है. अगर आप बड़े पौधों की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए बड़े जलाशय की जरुरत होती है. एरोपोनिक प्रणाली वाले पौधों को हवा में स्थापित करना होता है, इसलिए पौधों को लगातार ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. यह प्रणाली में अन्य हाइड्रोपोनिक तकनीक की तुलना में कम पानी अवशोषित करती है.