PM Kisan Update: 4 राज्यों के किसानों को मिली 21वीं किस्त, जानें बाकी किसानों को कब तक मिलेगा लाभ? Weather Update: यूपी, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड समेत इन राज्यों में होगी बारिश, जानिए अपने यहां का पूरा मौसम अपडेट Sankalp Retail: देशभर में कृषि-इनपुट खुदरा व्यापार को बदलना और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 3 October, 2020 4:16 PM IST
Radish farming

यूं तो देश में हर तरह की सब्जी मौजूद है, लेकिन मूली की बात ही कुछ अलग है. यह न सिर्फ हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, बल्कि पाचन क्रिया को भी मजबूत रखती है. हम मूली का इस्तेमाल सलाद, अचार, दवा आदि के रूप में कर सकते हैं. बड़े-बड़े शहरों के होटलों में इसे सलाद के तौर पर परोसा जाता है. लोग इसे बड़े ही चाव से खाते हैं.

मूली की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है. मूली की खेती कर हमारे किसान भाई लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. हालांकि किसान भाइयों में मूली की खेती को लेकर सही जानकारी होनी चाहिए. तो आइए जानते हैं कैसे करते हैं मूली की खेती.

मूली की किस्में

बाजार में मूली की कई किस्में मौजूद हैं. लेकिन उनमें भी कुछ ऐसी किस्में हैं, जो प्रचलित हैं. जैसे जापानी सफेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफेद, आई.एच. आर1-1 और कल्याणपुर सफेद शामिल हैं.

खेत की तैयारी

मूली की बुवाई करने से पहले  खेत की 5-6 जुताई कर तैयार किया जाना अनिवार्य है. मूली के लिए गहरी जुताई कि आवश्यकता होती है, क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में गहरी जाती है. गहरी जुताई के लिए ट्रैक्टर या मिटटी पलटने वाले हल से जुताई करें. इसके बाद दो बार कल्टीवेटर चलाकर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं.

बुआई का समय और विधि

मूली की बुआई साल भर की जा सकती है, लेकिन व्यापारिक दृष्टि से हमारे किसान भाई इसे सितंबर से लेकर जनवरी तक बुआई कर सकते हैं. मूली की बुआई दो प्रकार से की जाती है. पहला हम मूली मेड़ों पर बो सकते हैं, जबकि दूसरा कतरों में. मेड़ों पर बीज को 4 से.मी. की गहराई पर बो दिया जाता है. वहीं, कतारों में बीज को लगभग 3-4 सें.मी. गहराई में बोते हैं.

सिंचाई और जल निकासी

बुआई के समय अगर भूमि में नमी नहीं है, तो बुआई के तुरंत बाद हल्की सी सिंचाई कर देनी चाहिए. वर्षा ऋतु की फसल मे सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन ऐसे समय में जल निकास पर ध्यान देना जरूरी है. गर्मी के फसल में 4-5 दिन, जबकि शरदकालीन फसल में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए.

फसल की कटाई

मूली कटाई के लिए 40 से 50 दिन में तैयारी हो जाती है, लेकिन कटाई से पहले किसान भाई यह देख लें कि मूली की जड़ खाने लायक हो गई है या नहीं. काटने के बाद उसे बाजार या मंडी में ले जाकर बेच दें. 

English Summary: How to Radish cultivation, know about seeds
Published on: 03 October 2020, 04:20 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now