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Updated on: 26 January, 2024 5:31 PM IST
प्याज-लहसुन की पत्तियां का पीलापन करें दूर

किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए उसकी उचित देखभाल करना बेहद जरूरी है. यदि बुवाई के बाद किसान सही से फसल का ध्यान न रखें, तो उसमें कीट और रोग लग सकते हैं. जिससे उनकी पूरी फसल बर्बाद हो सकती है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल की उचित देखभाल करनी चाहिए. देश के कई क्षेत्रों में इन दिनों प्याज और लहसुन की फसल तैयार हो रही है. प्याज-लहसुन की खेती के दौरान किसानों को कई बार शिकायत रहती है की उनकी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं.

क्यों पीली पड़ जाती है पत्तियां?

फसल में पीलापन का कारण एवं नियंत्रण की सही जानकारी नहीं मिलने के कारण किसानों को इस समस्या से निजात पाने में बहुत कठिनाई होती है. इसके चलते उन्हें अच्छा उत्पादन और मुनाफा नहीं मिल पता. ज‍िससे उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है. प्याज-लहसुन की फसल में पीलापन के कई कारणों से हो सकते हैं. जिसमें मौसम परिवर्तन एक मुख्य कारण है. इसके अलावा, फसल में माहो का प्रकोप, पत्तियों पर धब्बा रोग, पानी की अधिकता अथवा नत्रजन उर्वरक की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है. इन वजहों से फसल में पीलापन एवं पत्तियां सूखने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं.

इस समय प्याज-लहसुन काफी रेट पर ब‍िक रहा है, इसल‍िए क‍िसान ध्यान नहीं देंगे तो उनका काफी नुकसान हो सकता है. ऐसे में अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आइए आपको इसका उपचार बताते है. इस खबर में दिए गए सुझावों से किसान फसल की पैदावार को भी बढ़ा सकते हैं.

कैसे दूर करें पीलापन?

फसल में नाइट्रोजन की मात्रा की पूरी करने के लिए प्रति एकड़ भूमि में 1 किलोग्राम एन.पी. के 19:19:19 का प्रयोग करें. इसके अलावा आप उचित मात्रा में यूरिया का छिड़काव कर के भी नाइट्रोजन की कमी पूरी कर सकते हैं. प्याज-लहसुन को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसमें ज्यादा पानी न डालें. बहुत अधिक पानी के कारण पत्तियां पीली होकर मुरझा सकती हैं. पानी देने के बीच मिट्टी को थोड़ा सूखने दें. इसके अलावा, अपनी मिट्टी की जांच भी करवाएं. मिट्टी में पौषक तत्वों की कमी के कारण भी ऐसा देखने को मिलता है. जिससे उपज में कमी आ सकती है. ऐसे में इन बातों का विशेष ध्यान दें.

पीलेपन का समाधान

  • थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिला कर छिड़काव करें.

  • फफूंद लगने पर 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें.

  • यदि जड़ों में कीड़े लग रहे हैं तो नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफॉस 50 प्रतिशत ई.सी. का प्रयोग करें.

  • कीरनाशक एवं फफूंद नाशक दवाओं के प्रयोग के समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होना आवश्यक है.

  • खेत में आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचें.

  • यदि पर्याप्त उर्वरक पूर्व में नहीं दिया गया हो तो यूरिया फसल में सिंचाई/निंदाई के बाद दें.

  • यदि जल भराव की स्थिति दिखाई दे रही हो तो अतिरिक्त जल का रिसाव करें.

  • डाईथेन एम 45 की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें.

  • रोगर 1 मि.ली./लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें.

English Summary: How to prevent yellowing of leaves in onion garlic crop disease do this treatment to get bumper production
Published on: 26 January 2024, 05:33 PM IST

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