सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 25 August, 2023 11:49 AM IST
Prevention of radish from diseases

भारत के हर हिस्से में मूली की खेती की जाती है. इसकी खेती के लिए रेतली भूरभूरी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मूली में विटामिन, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीश्यिम और कैल्सियम भरपूर मात्रा में पाई जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी की पीएच वैल्यू 6 से 8 के बीच होनी चाहिए. आज हम आपको इसमें लगने वाले रोग और उनसे बचाव के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

ह्वाइट रस्ट

इस प्रकार के कीट आकार में काफी छोटे होते हैं और यह मूली के पत्तियों पर लगते हैं. यह कीट पत्तियों का रस चूसकर उसे पीले रंग का कर देते हैं. इस क़िस्म का रोग इस बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण ज्यादा देखने को मिल रहा है.  इससे बचाव के लिए आप मैलाथियान उर्वरक की उचित मात्रा का छिड़काव मूली के पौधों पर कर सकते हैं.

बालदार सुंडी

यह रोग मूली में शुरुआत की अवस्था में ही लग जाता है. बालदार सुंडी रोग पौधों को पूरी तरह से खा जाता है. यह कीट पत्तियों सहित पूरी फसल का नुकसान कर देते हैं, जिससे पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश से ग्रहण नहीं कर पाते है. इसके बचाव के लिए क्विनालफॉस उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है.

झुलसा रोग

यह मौसम के अनुसार लगने वाला रोग है. मूली में यह रोग जनवरी और मार्च महीने के बीच लगता है. झुलसा रोग लगने से पौधें की पत्तियों पर काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और मूली का रंग भी काला हो जाता है. इससे बचाव के लिए मैन्कोजेब और कैप्टन दवा का उचित मात्रा मे पानी के घोल के साथ छिड़काव करने से इस रोग को रोका जा सकता है.

ये भी पढ़ें: आर्किड फूल की खेती, जानें इसकी क्या है उपयोगिता

काली भुंडी रोग

यह भी पत्तियों में लगने वाला एक कवक रोग है. इसमें पौधों की पत्तियों में पानी कमी होने के कारण यह सूख सी जाती हैं. अगर यह रोग अन्य मूली में लगता है तो यह पूरी फसल में फैल जाता है और किसान को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है. इस रोग से पौधों को बचाने के लिए आप इसके लक्षण दिखते ही 6 से 10 दिन के अंतराल पर मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव कर सकते हैं.  

English Summary: How to prevent radish from diseases
Published on: 25 August 2023, 11:52 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now