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Updated on: 8 May, 2023 12:37 PM IST
खेत की मिट्टी को ऐसे बनाएं क्षारीय एवं लवणीय

किसी भी फसल के स्वस्थ एंव अधिक उत्पादन के लिए अच्छी मृदा व उत्तम गुणवत्ता वाले जल से सिंचाई की व्यवस्था सबसे पहला चरण होता है. ऐसे में फसल अगर समस्या ग्रस्त भूमि में लगाई जाती है तो पैदावार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ऐसे में अधिक पैदावार लेने के लिए समस्या ग्रस्त मृदा का प्रबंधन बेहद जरूरी होता है.

डॉ विजय कुमार अरोड़ा प्रधान मृदा वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त), सीसीएस एचएयू रीजनल रिसर्च स्टेशन करनाल ने बताया कि ऐसी समस्या ग्रस्त भूमियां मुख्य रूप से दो तरह की होती है. इनमें से एक क्षारीय या उसर भूमि, दूसरी लवणीय भूमि. उसर भूमि वह भूमि है जिसमें सोडियम कार्बोनेट, बाई कार्बोनेट तथा सलीकेट लवणों की मात्रा अधिक होती है. इसमें विनियम योग्य सोडियम 15% से अधिक और पी.एच.मान 8.2 (ई.सी.ई.) से अधिक होता है तथा विद्युत चालकता (ई.सी.ई.) 4 डैसी. प्रति मी. से कम होती है. इन मृदा में पानी व हवा का रिसाव कम हो जाता है जिस कारण मिट्टी की भौतिक हालत बिगड़ जाती है. इन भूमियों में नाईट्रोजन, कैल्शियम तथा जिंक की कमी होती है. लवणीय भूमि ऐसी मिट्‌टी होती हैं जिनमें घुलनशील लवणों की अधिक मात्रा के कारण बीज का अंकुरण व विकास प्रभावित होता है. इन भूमि की विद्युत चालकता 4 डैसी. प्रति मी. से अधिक तथा मृदा का पी.एच. मान 8.2 (ई.सी.ई.) से कम तथा विनियम योग्य सोडियम की मात्रा 15 प्रतिशत से कम होती है. इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम के क्लोराइडस एवं सल्फेटस लवण अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इससे भूमि में पौधे की जड़ क्षेत्र में पानी होने के बावजूद भी पौधे को उचित मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है. पोषक तत्व पौधों को उचित मात्रा में नहीं मिल पाते हैं. क्लोराइड या बोरोन जैसे तत्वों की पौधें में अधिकता हो जाती है. फसल के जड़ क्षेत्र में हवा के आवागमन की कमी हो जाती है.

ऐसे भूमि में करवाएं जांच: ऐसी समस्या ग्रस्त भूमियों के सुधार के लिए यह जानना जरूरी है कि इन भूमियों में समस्या किस तरह की है. इसके लिए मिट्टी की जांच करवाना बेहद जरूरी है. मिट्टी की जांच के लिए नमूना कैसे लेना है यह जानना भी आवश्यक है. मिट्टी का नमूना लेने के लिए खेत में एक जगह जहां लवणों की मात्रा सबसे अधिक दिखती है वहां गड्ढा मारकर 0 से 15 सै.मी., 15 से 30 सै.मी., 30 से 60 सै.मी. व 60 से 90 सै.मी. की गहराई के मिट्टी के नमूने लें. यह जानना आवश्यक है कि लवणों की मात्रा कितनी है व कितनी गहराई तक है.

क्षारीय भूमि में ऐसे करें सुधार: क्षारीय भूमि सुधारने के लिए विभिन्न रसायन जैसे जिप्सम, पाइराइट, फास्फोजिप्सम, गंधक का अम्ल का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा गन्ने मिल का प्रेसमड, शीरा, धान का पुराल, धान की भूसी, तापीय विद्युत गुह की राख, जलकुम्भी, कम्पोस्ट खाद, गोबर की खाद इत्यादि कार्बनिक पदार्थो का प्रयोग भी उसर सुधार के लिये किया जाता है. इन सब में जिप्सम सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि ये सबसे अधिक प्रभावशाली और सस्ता है. जिप्सम के प्रयोग के लिए सबसे पहले खेत को समतल करके 45 सै.मी. ऊँची मेढ बनाएं. इसके बाद जिप्सम की उचित मात्रा खेत में डालकर 10 सै.मी. तक जुताई करें ताकि जिप्सम भूमि में अच्छी तरह मिल जाए. खेत में 10 से 15 दिनों तक अच्छा पानी भरकर रखें. इसके बाद धान की फसल लें. अगले साल सुधार के बाद इन भूमियों में गन्ने की फसल अच्छी तरह से ली जा सकती है. इन भूमियों में सामान्य भूमि की अपेक्षा 25 प्रतिशत अधिक नाईट्रोजन तथा 25 किलो प्रति हैक्टेयर जिंक सल्फेट का प्रयोग करें.

लवणीय भूमि में सुधार: लवणीय भूमियों के सुधार के लिए भूमिगत जल निकास की जरूरत होती है. इसके लिए जमीन के अंदर छलनी नुमा पाईप लगायें जातें हैं जो कि इन लवणों की निकासी करने में सहायक होते हैं. इस प्रक्रिया में छलनी नुमा पाईप को भूमि की सतह से लगभग 1.5-2.0 मी. की गहराई तक लगाना होगा साथ ही इनके बीच की दूरी 60-67 मी. की होनी चाहियें. इस कार्य के लिए ट्रैंचर मशीन का प्रयोग किया जाता है.

इन सभी समांतर नालियों को एक बड़ी नाली के साथ जोड़कर चार मी. गहरे कुंए में पहुंचाया जाता है. इस कुंए से पानी को पंप करके बाहर निकाल दिया जाता है. इस तरह से भूमि से घुलनशील लवणों को बाहर निकाला जाता है जिसके बाद किसान अच्छी फसल उगा सकता है.

English Summary: How to make the alkaline and saline soil of your farm fertile? Learn here
Published on: 08 May 2023, 12:44 PM IST

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