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Updated on: 16 December, 2022 2:46 PM IST
अकरकरा की उन्नत खेती

किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें परंपरागत खेती के साथ ही औषधीय फसलों की ओर बढ़ाया जा रहा है. औषधीय फसलों की खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. ऐसा ही एक औषधीय पौधा है,  अकरकरा. इसके पौधों की जड़ों का इस्तेमाल मुख्य रूप से आयुर्वेदिक दवाओं के लिए होता है. अकरकरा के पौधों के उपयोग से कई तरह की बीमारियां ठीक हो सकती हैं. आइये जानते हैं खेती के बारे में.

फसल की पैदावार और लाभ-

अकरकरा की खेती में प्रति एकड़ फसल में डेढ़ से दो क्विंटल तक बीज और 8-10 क्विंटल तक जड़ें मिलती हैं, जो बाजार में 20 हजार रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती हैं. बीजों का भाव 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल के आसपास होता है. किसान भाई इसकी एक एकड़ में एक बार की फसल में 2-3 लाख तक की कमाई कर सकते हैं.

खेती का तरीका- 

खेती करने में लगभग 6-8 महीने लगते हैं. यह फसल सम शीतोष्ण जलवायु में अच्छे से विकास करती है, इसकी खेती खासकर भारत के मध्य राज्यों में होती है. खेती पर अधिक सर्दी और तेज गर्मी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता, यह पौधा छोटी-छोटी पत्तियों से घिरा भूमि सतह पर ही गोलाकार रूप में विकसित होता है भूमि का PH मान सामान्य होना चाहिए.

उपयुक्त मिट्टी-

खेती करने के लिए अच्छे जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव और भारी मिट्टी वाली भूमि पर खेती नहीं की जा सकती. खेती के लिए जरूरी PH मान लगभग 7 होना चाहिए.

उपयुक्त जलवायु और तापमान-

खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी है. भारत में इसकी खेती रबी की फसल के बाद होती है, अकरकरा की फसल को अधिक धूप की जरूरत होती है. छायादार जगहों पर खेती नहीं कर सकते क्योंकि छायादार जगह पर पौधों की जड़ों का अच्छे से विकास नहीं हो पाता. सर्दी और गर्मी के मौसम का असर पैदावार पर नहीं होता है, क्योंकि यह पौधे सर्दियों में गिरने वाला पाला भी सहन कर लेते हैं. अकरकरा के पौधों को शुरुआत में अंकुरित होने के लिए 20-25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए न्यूनतम 15 और अधिकतम 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है  और पौधों के पकने के समय इन्हें 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.

खेत की तैयारी कैसे करें-

खेती के लिए मिट्टी भुरभुरी और नर्म हो, यह एक कंदवर्गीय फसल है. जिसके फल भूमि के अंदर विकास करते हैं. इसलिए जब खेती करें तो खेत की मिट्टी को पलटने वाले हलों से गहरी जुताई करके कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें, फिर गोबर की खाद को खेत में डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला दें. इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दें, पलेव करने के कुछ दिन बाद जब खेत की ऊपरी मिट्टी सूखने लगे तब खेत की फिर से जुताई करें.

पौधे तैयार करने का तरीका- 

फसल को पौधों और बीज दोनों ही रूप में उगाया जा सकता है. इसके पौधों को भी पहले नर्सरी में तैयार करते हैं, बीजों को नर्सरी में तैयार करने से पहले उन्हें गोमूत्र से उपचारित करना चाहिए. जिससे पौधों में शुरुआती रोग नहीं लगते, पौधों को उपचारित कर उन्हें प्रो – ट्रे में एक महीने पहले लगा देना चाहिए. बीजों के तैयार हो जाने पर उन्हें खेत में तैयार की हुई मेड़ में लगा देना चाहिए

पौधों को लगाने का तरीका और समय-

अकरकरा की खेती को बीज और पौध दोनों ही रूप में तैयार कर सकते हैं. यदि इसकी खेती को बीज के रूप में करना चाहते हैं तो 3 किलो बीजों की जरूरत होगी और यदि पौध के रूप में करना चाहते हैं तो दो किलो बीज काफी है. हर बीज को 15 सेंटीमीटर की दूरी और दो से तीन सेंटीमीटर गहराई से लगाना चाहिए और मेड़ से मेड़ की दूरी एक फीट होनी चाहिए.

 

पौधों की सिंचाई का तरीका - 

पौधों को खेत में लगाने के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए, जिससे पौधों को अंकुरित होने में आसानी होती है. इसके पौधों की पहली सिंचाई करने के बाद बीज के अंकुरित होने तक खेत में नमी की मात्रा को बनाये रखने के लिए हल्की-हल्की सिंचाई करनी चाहिए. खेती  सर्दी के मौसम में करने से पौधों को अंकुरित होने में कम सिंचाई की जरूरत होती है. जब पौधों की 5-6 सिंचाई तक हो जाती है तब इसके पौधे पककर तैयार हो जाते हैं और पौधों के अंकुरित हो जाने के बाद 20 से 25 दिन में पानी देते रहना चाहिए.

उर्वरक की सही मात्रा- 

खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ में 12-15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डालना चाहिए. रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए.

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खुदाई और सफाई का तरीका- 

पौधों की रोपाई के 5-6 माह के बाद वे खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं, पौधे जो पूरी तरह से पक चुके होते हैं उनकी पत्तिया पीले रंग की हो जाती हैं. उनकी खुदाई गहरी मिट्टी उखाड़ने वाले हलों से करनी चाहिए, खुदाई से पहले पौधों पर बने बीज वाले डंठलों को तोड़कर जमा लें. एक एकड़ में लगभग डेढ़ से दो क्विंटल तक के बीज तैयार हो जाते हैं. जड़ों से उखाड़े गए पौधों को साफ कर पौधों से काट कर अलग करना चाहिए, फिर उन्हे 2-3 दिन तक छायादार जगह या फिर हल्की धूप में सुखाकर बोरों में भरकर बाजार में बेचें. सिंगल जड़ वाली फसल का बाजार भाव अधिक होता है.

रोग और उनकी रोकथाम-

पौधों में अभी तक किसी तरह के रोग देखने को नहीं मिले हैं. लेकिन अधिक जलभराव के कारण पौधों के सड़ने की आशंका रहती है, जिससे पैदावार को नुकसान हो सकता है.

English Summary: How to earn profits from cultivating medicinal crops
Published on: 16 December 2022, 03:00 PM IST

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