गेंदे के फूल का उपयोग धार्मिक तौर पर बहुत ज्यादा किया जाता है. इसके अलावा यह शादी, जन्म दिन और विभिन्न प्रकार के समारोहों के अवसर पर किया जाता है. इसे मुर्गी के भोजन लिए भी उगाया जाता है. बाजार में इसकी भारी मांग होने के कारण आजकल इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. ऐसे में अगर आप इसकी खेती करते हैं तो आपके लिए यह एक अच्छे मुनाफे का सौदा हो सकता है.
खेती का तरीका
मिट्टी
गेंदें के फूल की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी अच्छी होती है. इस मिट्टी में पानी का निकास अच्छी तरह से हो पाता है. इसकी बिजाई से पहले खेत जोतकर समतल कर दें और कम से कम तीन-चार बार कल्टीवेटर से जुताई कर मिट्टी पर पाटा चला दें ताकि मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए.
खाद
गेंदा की अच्छी पैदावार के लिए एक एकड़ के खेत में 200 क्विंटल कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है. इसके अलावा फास्फोरस और पोटाश को भी मिट्टी में मिला देना चाहिए.
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सिंचाई
इन पौधों को लगातार नमी की आवश्यकता होती है ऐसे में खेत की नमी बनाए रखने के लिए 10 से 15 दिनों के अन्तराल खेत में पानी देते रहना चाहिए.
कीटों से बचाव
गेंदा के पौधों को कीट से बचाने के लिए मैलाथियान का छिड़काव करना चाहिए. अगर पौधे में मोजेक लग जाए तो इसे खेत से जड़ से उखाड़कर फेक देना चाहिए. अगर पौधों में फफूंद लग रही हो तो इस पर इण्डोफिल एम कीटनाशक का छिड़काव सप्ताह में 2 से 3 बार कर लेना चाहिए.
औषधीय गुण
इसका उपयोग कान दर्द, खुजली और फोड़ा में किया जाता है. इसकी हरी पत्ती का रस निकालकर लगाया जाता है. पैर में मोच पड़ने और गहरी चोट के लिए इसके रस से मालिश करना लाभदायक होता है. अगर आपके शरीर में कहीं चोट लगने से खून बह रहा है तो इसके लिए गेंदें की पत्तियों का लेप लगाना चाहिए. इसके अलावा बवासीर के ईलाज के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.