Millet: देश में बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा दिया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 का उद्देश्य बाजरे की खपत को बढ़ाकर पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसके लिए आठ मिलेट्स चिन्हित किए गए हैं, जिनमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, चेना, सांवा आदि शामिल हैं. बाजरा मुख्य रूप से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक आदि राज्यों में उगाया जाता है. तो आइये जानते हैं बाजरा की खेती और इसकी पैदावार बढ़ाने के तरीके के बारे में...
बाजरा के खेत की जुताई
गर्मी के मौसम में खेत की 1 से 2 बार गहरी जुताई आवश्यक रूप से करनी चाहिये. ये मिट्टी में रोगों को रोकने एवं नमी के संरक्षण में बहुत लाभदायक होता है.
बाजरा की कम अवधि वाली किस्मों का करें चयन
वर्षा आधारित क्षेत्रों में 70 से 75 दिनों में पकने वाली किस्मों को ही बोना चाहिए. एचएचबी-67, एचएचबी-60, आरएचबी-30, आरएच बी-154 एवं राज.-171 के बीजों को 2 से 3 सिंचाई की जरुरत होती है.
बाजरा के बीज की मात्रा
बाजरा की खेती के लिए सही मात्रा में बीज की बुआई करनी चाहिए. प्रति हेक्टेयर खेत में 3 से 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, इससे 60-65 हजार पौधे प्रति एकड़ एवं 75-80 हजार पौधे सिंचित क्षेत्रों में प्राप्त हो सकेंगे.
बाजरा की फसल पर खरपतवार नियंत्रण
बिजाई के 15 से 30 दिनों बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें. इससे खरपतवार नियंत्रण तो होता ही है और साथ ही भूमि में नमी संरक्षण भी होती है. इसके अलावा इससे भूमि में पौधों की जड़ों तक हवा का आवागमन भी हो जाता है.
बाजरा की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक
बिजाई के समय पर ही आधी मात्रा नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस युक्त उर्वरक को मिट्टी में डाल दें तथा नाइट्रोजन की मात्रा दो भागों में बिजाई के 40 दिनों बाद प्रयोग करें.
बाजरा की फसल के लिए सिंचाई प्रबंधन
बाजरे के फूल बनते समय एवं बीज की दूधिया अवस्था में सिंचाई बहुत आवश्यक है. जो क्षेत्र वर्षा आधारित हैं, वहां नमी को संरक्षित करने के विभिन्न उपायों को अपनाकर खेतों की सिंचाई करनी चाहिए.
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अंतरवर्तीय फसलों की करें बुवाई
मूंग, उड़द एवं लोबिया को अंतरवर्तीय फसल के रूप में 2:1 अथवा 6:3 के अनुपात में बाजरे के साथ उगाया जा सकता है, जिसमें किसानों को 2500 से 3000 रुपये प्रति एकड़ अलग से लाभ मिल सकता है.