Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 24 July, 2023 11:27 AM IST
तिलहन की फसल में लगने वाले रोग

Sesame Crop: भारत में तिल की खेती काफी लंबे समय से की जाती रही है. यह एक तिलहनी फसल होती हैजिसे खरीफ के सीजन में उगाया जाता है. इसका इस्तेमाल मुख्य रुप से तेल निकालने के लिए किया जाता हैजो खानें में बहुत ही पौष्टिक माना जाता है. तिलहन के पौधे एक से डेढ़ मीटर लंबे होते हैं और इसके फूलों का का रंग सफेद और बैंगनी होता है. आज हम आपको इसकी खेती के दौरान लगने वाले रोगों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं.

तिलहन में लगने वाले रोग

गाल मक्खी

यह एक कीट जनित रोग होता है. इसके लगने से पौधे के तनों में सड़न होने लगती है. यह कीट इतना खतरनाक होता है कि यह धीरे-धीरे पूरे वृक्ष को ही खा जाता है. इससे बचाव के लिए किसान भाई पेड़ पर मोनोक्रोटोफास का छिड़काव 15 से 20 दिन के अंतराल पर करते रहें.

पत्ती छेदक रोग

यह रोग लगने से तिल के पौधे की पत्तियों में छेद होने लगते हैं. इन कीटों का प्रकोप बहुत अधिक होता है. इनका रंग हरा होता है, इन कीटों के शरीर पर हल्के हरे और सफेद रंग की धारियां बनी होती हैं. अगर इनका प्रबंधन सही समय पर नहीं किया गया तो यह बहुत ही कम समय में पूरे तिल की फसल को खराब कर सकते हैं. इन कीटों से बचाव के लिए आप पौधों पर मोनोक्रोटोफास की दवा का छिड़काव कर सकते हैं.

 ये भी पढ़ें: बड़े काम का है ये औषधीय पौधा, अगर एक एकड़ में कर ली खेती तो चंद दिनों में बन जाएंगे अमीर

फिलोड़ी

फिलोड़ी का रोग पौधे के पुष्पों पर लगता है. इससे तिल के फूलों का रंग पीला पड़ने लगता है और समय के साथ यह झड़ने लगते हैं. इससे बचाव के लिए पौधों पर मैटासिस्टाक्स का छिड़काव किया जाता है.

फली छेदक

इन कीटों की मादाएं अंडे पौधों के कोमल भाग जैसे कि पत्तियों तथा फूलों पर देती हैं. यह पीले, हरे, गुलाबी, भूरे, संतरी तथा काले रंग के पैटर्न में विभिन्न प्रकार के होते है. यह कीट कोमल पत्तियों, फूलों व इनकी फलियों को खा जाते हैं. इनके बचाव के लिए पौधों पर क्यूनालफॉस नामक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

English Summary: How to cultivate sesame and its prevention from diseases
Published on: 24 July 2023, 11:31 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now