Mustard Farming: देश में इन दिनों रबी फसलों का सीजन चल रहा है. इन्हीं रबी फसलों में से एक सरसों भी हैं, जिसकी खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है. खासकर उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में किसान इस समय सरसों की खेती करते हैं. हालांकि, मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण जनवरी-फरवरी महीने में सरसों की फसलों में चेंपा (मोयला) कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है. दरअसल, चेंपा कीट ठंड के मौसम का फैलता है, जब तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है. ऐसी स्थित में मौसम में ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) अधिक हो जाती है. जिस वजह से चेंपा कीट (Chempa Insect) फैलने का खतरा अधिक हो जाता है, जो किसानों की फसलों को प्रभावित कर सकता है.
कृषि विभाग ने किसानों को दी ये सलाह
पिछले कुछ दिनों से ठंड में काफी इजाफा हुआ है, जिस वजह से सरसों की फसलों में चेंपा (मोयला) कीट लगने की संभावना बढ़ गई है. इसी के चलते राजस्थान सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को चेंपा कीट की रोकथाम के लिए आवश्यक सलाह दी है. कृषि विभाग के अनुसार, अगर किसानों द्वारा इन कीटों की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किया गया, तो फसलों के उत्पादन प्रभावित हो सकता है. ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों द्वारा सलाह दी गई है की कीटनाशकों का समय पर उपयोग करके इन कीटों को नियंत्रित करें.
पौधों की ग्रोथ रोक देता है चेंपा कीट
बता दें कि जनवरी माह में चेंपा कीट का प्रकोप अधिक होता है. यह कीट हल्के हरे-पीले रंग का होता है और पौधे के विभिन्न नरम भागों, फूलों, कलियों और फलों पर रहकर रस चूसता है जो छोटे समूहों में पाया जाता है. इसके कारण पौधों की ग्रोथ रूक जाती है. कलियों की संख्या कम हो जाती है और फूलों की पैदावार भी प्रभावित होती है.
कैसे करें चेंपा कीट का प्रबंधन?
चेंपा कीट के प्रकोप के कुछ ही दिनों में जब पौधे की मुख्य शाखा की लंबाई 10 सेमी के आसपास तक बढ़ जाती है, चेंपा की संख्या में लगभग 20 से 25 तक का वृद्धि देखने पर, मेलाथियॉन 5% प्रस्तावित मात्रा में, प्रति हेक्टेयर 25 किलो, सवा लीटर प्रति हेक्टेयर 50 ई.सी. या डायमेथोएट 30 ई.सी. प्रति हेक्टेयर एक लीटर की दवा को 400 से 500 लीटर पानी में विघटन करके छिड़काव करें।