किसान अगर सब्ज़ियों की बुवाई करने वाले हैं और चाहते हैं कि सही समय पर उन्हें अच्छी पैदावार मिले, तो उन्हें फसल भी उसी के मुताबिक लगानी होगी. आज हम आपको इसी सम्बन्ध में जानकारी देने वाले हैं कि किसान मार्च में किस फसल की खेती कर सकते हैं.
आने वाले मौसम (weather) के साथ समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि किसान किन फसलों की बुवाई (crop cultivation) अगले महीने कर सकते हैं जिससे आपको अच्छा उत्पादन मिले.
भिंडी (Lady Finger)
किसान भिंडी (okra) की अगेती किस्म की बुवाई फ़रवरी से मार्च के बीच कर सकते हैं. यह खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.
उन्नत किस्में- हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच.
करेला (Bitter gourd)
करेला कई बिमारियों के लिए लाभदायक है, इसलिए इसकी मांग भी बाजार में ज़्यादा रहती है. गर्मियों में तैयार होने वाली इसकी फसल बहुउपयोगी है. किसान इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. करेले की फसल को पूरे भारत में कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. वैसे इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास युक्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.
उन्नत किस्में- पूसा हाइब्रिड 1,2, पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कल्याणपुर, प्रिया को- 1, एस डी यू- 1, कोइम्बटूर लांग, कल्यानपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला- 1, पंजाब- 14, सोलन हरा, सोलन, बारहमासी.
लौकी (Bottle Gourd)
लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजलवण के अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. इसके सेवन से गर्मी दूर होती है और यह पेट सम्बन्धी रोगों को भी दूर भगाती है. इसकी खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है.
उन्नत किस्में- पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल) , पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3, नरेंद्र रश्मिी, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार.
खीरा (Cucumber)
खीरे (cucumber) की तासीर ठंडी होती है और यही वजह है कि लोग इसका उपयोग गर्मियों में ज़्यादा करते हैं जिससे अपने आप को गर्मी से बचा सकें. इसका सेवन पानी की कमी को भी दूर करता है. देश के कई क्षेत्रों में इसकी खेती प्राथमिकता पर की जाती है. इसकी खेती के लिए सर्वाधिक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. साथ ही अच्छे विकास के लिए तथा फल-फूल के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट भूमि, जल निकास के साथ बेहतर मानी जाती है.
उन्नत किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75, पीसीयूएच- 1, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल शामिल हैं.
पालक (Spinach)
किसान बलुई दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई कर सकते हैं. इसके साथ ही मिट्टी को पलेवा कर जुताई के लिए तैयार करें. इसके बाद हल से एक जुताई कर 3 बार हैरो या कल्टीवेटर चला लें जिससे मिटटी भुरभुरी हो जाए. अब समतल कर इसमें बुवाई कर सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि किसान कतार में पालक (spinach) की बुवाई करें.
उन्नत किस्में- पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन 23, पन्त का कम्पोजीटी 1, पालक न 51-16.
खरबूजा (Watermelon)
खरबूजा की बुवाई (melon) का समय नवम्बर से लेकर मार्च तक का है. आपको बता दें कि इसकी खेती के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. इस फसल के लिए गर्म जलवायु अधिक होने से इसका विकास भी अच्छा होता है. वहीं जलवायु में नमि होने की वजह से पत्तियों में बीमारी लगने का खतरा बन जाता है. भूमि की तैयारी के समय फास्फेट और पोटाश के साथ नत्रजन की आधी मात्रा को मिलाना चाहिए. वहीं बाकी नत्रजन की मात्रा को बुवाई के 25-30 दिन बाद इस्तेमाल करना चाहिए.
उन्नत किस्में- पूसा रसाल, दुर्गापुरा लाल, आसाही-यामाटो, शुगर बेबी, न्यू हेम्पसाइन मिडगेट, अर्का ज्योति, दुर्गापुरा केसर.