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Updated on: 28 October, 2025 9:55 AM IST
गेहूं की उन्नत किस्म ‘पूसा कीर्ति’ ( Image source - Freepik)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित एच आई 8830 पूसा कीर्ति गेहूं की एक उन्नत किस्म है. इस किस्म में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है। इस किस्म की मांग मंडियों में बहुत होती है और यही वजह है कि यह किस्म किसानों की पहली पसंद है। अगर किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं तो वह 1 हेक्टेयर में 65 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.

खेती का उचित समय

पूसा कीर्ति गेहूं की बुवाई का सबसे अनुकूल समय अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के पहले 10 दिन माना जाता है. इन महीनों में बुवाई करने से बीज का अंकुरण बेहतर होता है.

खेती की तैयारी कैसे करें?

अगर किसान इस किस्म की खेती की बुवाई करते हैं, तो ध्यान रखें कि खेत की जुताई में कोई कमी न छोड़ी जाए. मिट्टी को भुरभुरी और समतल बनाना जरूरी है. साथ ही गोबर की सड़ी हुई खाद या जैविक खाद डालें, जिससे पैदावार अधिक होगी और पौधे जल्दी और स्वस्थ बढ़ेंगे. अगर खेती कर रहे हैं तो प्रति हेक्टेयर केवल 100 किलोग्राम बीज का ही इस्तेमाल करें.

किन राज्यों में देंगी अधिक उत्पादन

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कोटा और राजस्थान के उदयपुर डिवीजन, और उत्तर प्रदेश के झांसी डिवीजन के किसान अगर इस किस्म की खेती करते हैं, तो कम लागत में अच्छी उपज कर सकते हैं। खासियत यह है कि यह किस्म दो सिंचाई में ही अच्छा उत्पादन दे सकती है।

किसानों को कितना होगा मुनाफा?

अगर किसान इस किस्म का चुनाव करते हैं तो वह इससे 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज पा सकते हैं। साथ ही, इस किस्म को तैयार होने में सिर्फ 118 दिनों का समय लगता है और बाजार में इसकी अधिक मांग रहती है। निर्यातक कंपनियां भी इस गेहूं को बड़े पैमाने पर खरीदती हैं। इसलिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 1.2 से 1.5 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ आसानी से मिल जाता है।

English Summary: high yield wheat variety Pusa Kirti wheat variety will give farmers up to 65 quintals per acre
Published on: 27 October 2025, 11:58 PM IST

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