गेंहू भारत की प्रमुख फसलों में शामिल है और इसकी मांग अन्य फसलों की तुलना में हमेशा अधिक रहती है. यही कारण है कि किसान गेंहू की खेती को अपनी जमीन पर प्राथमिकता देते हैं. इसके अलावा, गेंहू से किसानों को बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं, क्योंकि यह रोटी, आटा और अन्य पारंपरिक व्यंजनों में अत्यधिक इस्तेमाल होती है.
अगर किसान करण खुशबू (DBW-386) और DBW303 (करण वैष्णवी) की खेती करते हैं, तो उन्हें तगड़ी आय और उच्च उपज का लाभ मिल सकता है. इन किस्मों की पैदावार न केवल खेत में बढ़िया होती है बल्कि बाजार में भी इनका मूल्य उच्च होता है. इसके साथ ही, ये किस्में रोग प्रतिरोधक और मौसम सहनशील हैं, जिससे किसान कम जोखिम में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
गेंहू की उत्तम किस्में
करण खुशबू (DBW-386)
गेंहू की इस किस्म की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. इसके अनाज से रोटी और अन्य पकवान जैसे आटे का हलवा बनते हैं, जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं. करण खुशबू (DBW-386) किस्म (ICAR द्वारा विकसित) किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है और इससे आय और उपज दोनों में वृद्धि होती है.
विशेषताएं:
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बुवाई से लेकर फसल तैयार होने में केवल 123 दिन लगते हैं.
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यह किस्म धारीदार जंग, पत्ती जंग, जस्सोर और बांग्लादेश में गेहूं प्रस्फुटन रोग के प्रति प्रतिरोधक है.
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अलग-अलग मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देती है.
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औसत उपज: 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर.
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उपयुक्त क्षेत्र: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वोत्तर राज्यों के मैदानी इलाके.
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यह किस्म बम्पर पैदावार देती है.
DBW303 (करण वैष्णवी)
DBW303 (करण वैष्णवी) किस्म रबी सीजन के लिए बेहद उपयुक्त है. यह कम मेहनत और कम जोखिम में बढ़िया पैदावार देती है. साथ ही, किसानों को समय पर अन्य फसलों की बुवाई के लिए भी तैयारी करने का मौका मिलता है.
विशेषताएं:
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औसत उपज: लगभग 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर.
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अनाज के दाने उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जिससे चपाती अच्छी बनती है.
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इसमें 12.1% प्रोटीन की मात्रा होती है, जिससे बाजार में अच्छे दाम मिल सकते हैं.
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यह किस्म हर मौसम में उगाई जा सकती है.
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रतुआ और पत्ती रोग के लिए प्रतिरोधक.
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उपयुक्त राज्य: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (तराई), गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़.