ब्रोकली की खेती किसानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है, क्योंकि इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी और के, प्रोटीन और फाइबर. ये सभी तत्व शरीर के लिए बेहद लाभकारी हैं. ऐसे में अगर किसान सर्दियों में इस सुपरफूड ब्रोकली की पायरेट और कैसीपी-06 किस्में उगाते हैं, तो कम समय में बंपर पैदावार के साथ अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
ब्रोकली की बढ़ती मांग
ब्रोकली की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि लोग अब स्वास्थ्य को लेकर अधिक सतर्क हो गए हैं और ऐसे फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहते हैं, जो शरीर को ताकत दें और उन्हें स्वस्थ रखें. ब्रोकली एक ऐसी सब्जी है जो कैंसर, हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करती है. यही कारण है कि किसान पायरेट और कैसीपी-06 किस्मों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
ब्रोकली की किस्में और बुवाई का समय
अगर किसान इस फसल की खेती करना चाहते हैं, तो वे पायरेट और कैसीपी-06 किस्मों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच कर सकते हैं. यह मौसम ब्रोकली की खेती के लिए उत्तम है क्योंकि न तो ज्यादा ठंड है और न ही ज्यादा गर्मी. इस समय में उगाई गई फसल किसानों को उच्च उपज देती है और कम समय में अच्छा उत्पादन सुनिश्चित करती है.
किन क्षेत्रों में देंगी अधिक पैदावार
ब्रोकली की खेती भारत के कई राज्यों में होती है. प्रमुख राज्य हैं – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और केरल में भी यह फसल लोकप्रिय है. पायरेट और कैसीपी-06 किस्मों के लिए झारखंड क्षेत्र विशेष रूप से अनुकूल है, क्योंकि वहां की जलवायु और मिट्टी इन किस्मों के लिए उत्तम है.
किसानों की संभावित आमदनी
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ब्रोकली की खेती का खर्च प्रति हेक्टेयर लगभग ₹50,000–60,000 आता है. इसमें बीज, खाद, मजदूरी, सिंचाई और अन्य खर्च शामिल हैं.
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बाजार में ब्रोकली का भाव ₹80–120 प्रति किलो रहता है और कभी-कभी कीमत ₹150 तक भी पहुंच जाती है.
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यदि किसान ब्रोकली को ₹100 प्रति किलो के भाव पर बेचते हैं और एक हेक्टेयर से 100 क्विंटल उत्पादन प्राप्त करते हैं, तो उनकी आमदनी लगभग ₹10 लाख तक हो सकती है.