देश में पारंपरिक खेती से हटकर अगर किसानी की जाए तो अच्छा मुनाफा हो सकता है ऐसे कई पेड़-पौधे हैं जिनकी खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं मेहंदी इन्हीं में से एक है, मेहंदी की खेती पत्तियों के लिए होती है इसमें 'लासोंन' नाम का रंजक यौगिक होता है जो बाल और शरीर को रंगने के लिए काम आता है. शुभ अवसरों पर मेहंदी की पत्तियों को पीस कर सौन्दर्य के लिए हाथ और पैरों पर लगाते हैं. इसके अलावा औषधीय गुणों की वजह से भी बाजार में मेहंदी की डिमांड रहती है. किसान मेहंदी की खेती करके मालामाल हो सकते हैं ऐसे में जानते हैं कि आखिर मेहंदी की खेती कैसे की जाती है.
जलवायु- सामान्य तौर पर मेहंदी का पौधा शुष्क से उष्णकटिबंधीय और गर्म जलवायु में अच्छे से बढ़ता है हालांकि विभिन्न तरह की जलवायु में भी खेती की जा सकती है. फसल वृद्धिकाल में लगभग 30- 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और अच्छी गुणवत्ता की पत्तियों की पैदावार के लिए गर्म, शुष्क और खुले मौसम की जरूरत होती है.
उपयुक्त मिट्टी - कंकरीली, पथरीली, हल्की और भारी, लवणीय और क्षारीय सभी प्रकार की भूमियों में खेती आसानी से हो सकती है लेकिन उत्तम गुणवत्ता की पैदावार के लिए सामान्य बलुई दोमट मृदा अच्छी होती है. मिट्टी का PH मान 7.5 से 8.5 उपयुक्त रहता है. कम बारिश वाले क्षेत्रों से लेकर अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में खेती हो सकती है.
खेत की तैयारी - मेहंदी वाले खेत में मानसून की पहली बारिश के साथ 2-3 बार मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करके पाटा लगाना चाहिए ताकि हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाएं और अधिक पैदावार पाने के लिए 8-10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालना चाहिए. दीमक नियंत्रण के लिए मिथाइल पाराथियॉन का 10 फीसदी चूर्ण मिट्टी में मिलाना चाहिए.
बीजोपचार और बीज-दर - छिड़काव करके मेहंदी की खेती करने के लिए प्रति एक हेक्टेयर के लिए 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त है. नर्सरी में बुवाई से पहले 10-15 दिनों तक लगातार बीजों को पानी में भिगोकर रखें, इसके पानी को रोज़ाना बदलें और फिर हल्की छाया में सुखाएं.
बुवाई का समय- मेहंदी के बीज की बुवाई का समय फरवरी-मार्च का होता है। पौधों की रोपाई का सही वक़्त जुलाई-अगस्त का माना जाता है.
पौधारोपण- पौधों को जड़ों की तरफ से 7-8 सेमी जड़ छोड़कर काटें फिर ताने और पत्तियों वाले हिस्से को 10 -15 सेमी छोड़कर काट लें. बिना जड़, तना कटे पौध नहीं लगाना चाहिए. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी और पौधे की दूरी 30 सेमी रखें या फिर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखें. दोनों में ही पौध संख्या बराबर होगी. बता दें पौधरोपण हल से बनाई कुंडों में ही करें. हल की हलवानी से 7-8 सेमी गहरा छेद करें, एक छेद में एक पौधा रोपित करें, रोपाई से पहले पौधों को क्लोरोपाइरिफास से उपचारित करना चाहिए. रोपाई के बाद छेद लकड़ी/ पैर से चारों ओर से दबाकर अच्छी तरह बंद करें.
मेहंदी की खेती में नहीं करें सिंचाई- वैज्ञानिकों के मुताबिक़ सिर्फ़ मेहंदी की बुवाई के वक़्त ही मिट्टी को अच्छी तरह से गीला करें. इसके बाद मेहंदी की खेती में सिंचाई नहीं करनी चाहिए. इससे पत्तों के रंजक (रंगने वाले) तत्वों में कमी आ सकती है. हालांकि अत्यधिक सूखे की दशा में मेहंदी की खेती को पानी देना पड़ सकता है. \
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कटाई- मेहंदी की कटाई के वक़्त मौसम साफ़ और खुला होना चाहिए, पहली कटाई मार्च-अप्रैल और दूसरी कटाई अक्टूबर-नवम्बर में ज़मीन से लगभग 2-3 इंच ऊपर से करें, शाखाओं के निचले हिस्से की पत्तियों को पीला पड़ने और झड़ने से पहले काटें क्योंकि मेहंदी की पत्तियों की आधी पैदावार पौधों के निचले एक चौथाई हिस्से से होती है.