सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 30 December, 2022 9:56 AM IST
रासायनिक खेती के नुकसान

वर्तमान समय में बढ़ती आबादी के कारण बाजार में खाने-पीने की चीजों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल पुरजोर तरीके से कर रहे हैं. एक आंकड़े के अनुसार 2019-2020 में देश में 60,599 टन रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव किया गया. इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, हरियाणा व पंजाब राज्य शीर्ष स्थानों पर रहे. किसान ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए फसलों में जहर घोल दिया. कृषि विशेषज्ञ, पर्यावरणविद् और सरकारें भी इसको रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं.

खेतों पर दुष्प्रभाव

रासायनिक खाद के उपयोग से खेत की उत्पादन क्षमता अल्पकाल के लिए बढ़ती है. साथ ही रासायनिक खाद से मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो जाती है. खेतों की मिट्टी में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कीट पतंगों का होना बहुत ही आवश्यक होता है. रासायनिक खाद के उपयोग से फसलों के मित्र कीट पतंग भी नष्ट हो जाते हैं और यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाले केचुओं को भी नुकसान पहुंचाता है. यह जमीन को लगातार बंजर और जहरीला भी बना रहा है.

मानव शरीर पर दुष्प्रभाव 

रासायनिक खाद का प्रयोग मिट्‌टी में अम्ल की मात्रा बढ़ाता है. अम्लता बढ़ने से मिट्टी में जिंक और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी हो जाती है.  इसका हमारे शरीर के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जिंक की लगातार कमी से बाल झड़ने की समस्या होने लगती है और इसके साथ-साथ हमारे शरीर का विकास भी थम जाता है, बच्चों में यह कुपोषण का कारण भी बन जाता है. देश में लगातार बढ़ते भूमि, जल और वायू प्रदूषण में इन रासायनों का बहुत बड़ा योगदान है.

ये भा पढ़ेंः देश के लाखों किसानों ने छोड़ी रासायनिक खेती, जानें जैविक खेती के फायदे

महामारी का कारण 

रासायन युक्त सब्जियों और अनाज के सेवन से जहरीले रसायन हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं. इस कारण  कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.  ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्लड कैंसर जैसे रोग के मरीजों की संख्या पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रही है. बच्चों से लेकर बूढ़े तक कोई भी इन बीमारियों से अछूता नहीं है. पिछले कई सालों में हृदय रोग के आंकड़े भी बहुत ज्यादा बढ़े हैं. लिवर की बिमारियां, आंतों में सड़न, पाचन क्रिया में बाधा आना जैसी अनेक समस्याएं बढ़ रही हैं. इन सभी बढ़ती बीमारियों का कारण हानिकारक रसायन है.

English Summary: Harmful effect of chemical farming
Published on: 30 December 2022, 10:03 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now