अगले 2 दिन इन राज्यों में घना कोहरा छाए रहने की संभावना, पढ़ें आईएमडी की लेटेस्ट रिपोर्ट! खेती को बनाए आसान, वीएसटी 165 DI ES इलेक्ट्रिक स्टार्ट पावर टिलर इस्तेमाल कर कम लागत में करें ज्यादा काम! केले की पूरी फसल बर्बाद कर सकते हैं वायरल रोग, जानें इनके लक्षण और प्रबंधन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 29 November, 2022 12:05 PM IST
इस बीज की खेती बना देगी लखपति

भारत में औषधीय फसलों की खेती का चलन काफी बढ़ गया है. अब किसान गेहूं, धान की पांरपरिक फसलों को छोड़कर अश्वगंधा, शतावर, ऐलोवेरा जैसे मेडिसिनल प्लांट्स की खेती करने लगे हैं. ऐसी ही एक औषधीय वनस्पति है चंद्रशूर, जिसे असारिया, आरिया, हालिम के नाम से भी जाना जाता है.

चंद्रशूर के बीज टूटी हड्डी को जोड़ने, पाचन प्रणाली दुरुस्त करने, मांसपेशियों में दर्द, सूजन, श्वास संबंधी रोगों आदि में उपचार के काम आते हैं. ये हालिम सीड्स बाजार में बहुत महंगे दामों पर बिकते हैं. भारत के उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में इसकी खेती व्यवसायिक स्तर पर की जा रही है. आप भी इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. चलिए जानते हैं हालिम सीड्स की खेती के बारे में.

चंद्रशूर/ हालिम सीड्स का पौधा लगभग 2 से 3 फुट की ऊंचाई का होता है, यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा होता है. इसके लाल-लाल नौकाकार और बेलनाकार बीज होते हैं. पानी में भिगोने से यह लुआब उत्पन्न करते हैं. इसके अलावा इसके पौधों की ताजी पत्तियों का उपयोग सब्जी व सलाद के रुप में किया जाता है.

हालिम की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

इसके लिए बलुई-दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 5-7 के बीच हो उपयुक्त होता है. इसकी मिट्टी जलनिकासी वाली होनी चाहिए.

हालिम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

यह पौधा मुख्य रुप से उष्ण, शीतोष्ण भागों में प्राकृतिक रुप से पाया जाता है. इसकी खेती के लिए किसी खास तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती.

हालिम की खेती के लिए बुवाई का उपयुक्त समय

चंद्रशूर की खेती रबी सीजन (1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक) में सफलता पूर्वक की जा सकती है.

हालिम फसल के खेत की तैयारी व बुवाई का तरीका

बिजाई से पहले खेत की 3 से 4 बार अच्छी तरह जुताई करें, इसके बाद खेत में गोबर की खाद मिलाकर 3 से 4 दिन के लिए छोड़ दें. बीजों को भिगोकर रख दें. इसके बाद बीज अंकुरित हो जाएं तो बुवाई करें. बीज 5 दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं. इनकी बुवाई करते वक्त बीजों को ज्यादा नहीं दबाना चाहिए. बिजाई के समय एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच 30 सेमी की दूरी और गहराई 1 से 2 सेंटीमीटर होनी चाहिए. खेत में गोबर की खाद के साथ प्रति एकड़ 20 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फास्फोरस व 10 किलो पोटाश डालें. प्रति एकड़ 4 किलो बीज की जरुरत पड़ेगी.

हालिम फसल की उन्नत किस्में

वैसे तो चंद्रशूर की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन हाल ही में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने इसकी उन्नत किस्म को विकसित किया है. जिसे एचएलएस-4 नाम दिया गया है. इस किस्म से बीज की बंपर पैदावार होती है. जी ए 1 और एचएलएस-4 दोनों किस्म के बीजों को प्रति हेक्टेयर 306 किलोग्राम तेज मिलता है. यह किस्म हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू कश्मीर में भी पैदा की जा सकती है.

हालिम फसल की सिंचाई

पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरुरत नहीं होती. हालांकि बीजाई के समय नमी रहना जरुरी है इसलिए हल्का पानी दें. 2 से 3 बार सिंचाई कर सकते हैं.

हालिम फसल में खरपतवार नियंत्रण

इस फसल में खरपतवार का प्रकोप होने से उत्पादन घट जाता है. इसलिए खरपतवार निकालते रहें. 3 से 6 सप्ताह के बीच 2 बार निराई-गुड़ाई करें.

हालिम फसल की कटाई

चंद्रशूर की फसल 4 महीने में पककर तैयार हो जाती है. पौधे का पीला पड़ना फसल तैयार होने का संकेत हैं. इसलिए बाद में फलियों से बीज निकाल लिए जाते हैं. जिन्हें धूप में सुखाया जाता है.

हालिम फसल की खेती के फायदे

चंद्रशूर की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें कीट-बीमारी बहुत कम लगती है. इसकी गंध तीक्ष्ण होने के कारण पशु इसे बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाते. इस फसल को कम सिंचाई की जरुरत होती है. खाद-उर्वरक का भी कम खर्च होता है. यह फसल 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है. यानि आप एक साल में 2 या 3 फसल आसानी से ले सकते हैं. उपज बेचने के साथ ही इसके बीज का पाउडर दुधारु पशुओं को दे सकते हैं जिससे दूध की पैदावार में वृद्धि होगी और आप डबल मुनाफा कमा सकेंगे.

हालिम फसल की उपज व मुनाफा

चंद्रशूर की कुछ किस्में अधिकांशता असिंचित भूमि में 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सिंचित भूमि में 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती हैं. एक हेक्टेयर में बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम के आसपास लगती है. इस खेती पर ज्यादा खर्च नहीं आता. चंद्रशूर के बीज बाजार में 6000 से 10000 प्रति क्विंटल तक बिकते हैं. इस तरह आप प्रति हेक्टेयर लाखों की कमाई कर सकते हैं. ऑनलाइन साइट्स पर यह बीज 400 से 500 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं. इससे बनी औषधियां, तेल भी बाजार में मंहगे दामों पर बिकते हैं.

हालिम सीड्स के उपयोग

इसे सुपरफूड कहा जाता है इसके छोटे लाल बीजों में फोलेट, आयरन, विटामिन सी, विटामिन ए, प्रोटीन, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके सेवन से अनियमित मासिक धर्म की समस्या दूर होती है. यह स्त्रियों व दुधारू पशुओं में दुग्ध के उत्पाद को बढ़ाने में सहायक है. एनीमिया दूर करता है. इम्यूनिटी बढ़ाता है. वजन खटाने में मदद करता है. सूखे बीजों से गठिया, सूजन, श्वास की बीमारी का इलाज होता है. कब्ज व अपच के लक्षणों को दूर करने में सहयोगी होता है.

English Summary: Halim seeds cultivation will make you rich, earn millions from one hectare
Published on: 29 November 2022, 12:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now