कम अंतराल में मुनाफा देने वाली फसलों में सीडलेस खीरा टॉप पर है. सीडलेस खीरे की खेती संकर किस्मों पर आधारित है. ये खीरे की दूसरी प्रजातियों से अलग होता है, इसमें बीज नहीं होते हैं, इसकी हर एक गांठ में एक-एक फ्रूट लगते हैं और कभी-कभी एक गांठ में एक से अधिक फल लगते हैं. इसलिए इस प्रजाति के खीरे में ज्यादा उत्पादन मिलता है. इन किस्मों को हॉलैण्ड से देश में लाया गया है. सीडलेस खीरे की डिमांड बाजार में तेजी से बढ़ी है. इसी के चलते इस किस्म की खेती देश के कई राज्यों में भी होने लगी है. सीडलेस खीरे की खेती साल में किसी भी मौसम में रूकती नहीं है. सीडलेस खीरे को सालभर पॉलीहाउस में उगाया जा सकता है. इन्हें किसी भी तरह के परागण की आवश्यकता भी नहीं हैं.
कैसे करें खीरे की खेती
पॉलीहाउस में खीरे की खेती ही सबसे बेहतर तरीका है. पॉलीहाउस में डीपी-6 खेती करने पर कीटों से फसल खराब होने का डर नहीं रहता. साथ ही हर तरह के मौसम में आराम से खेती कर सकते हैं. खेती में किसी भी तरह के केमिकल वाली खाद का इस्तेमाल नहीं करें. घर में तैयार देसी खाद ही डाले.
बाजार में रेट भी ज्यादा
बढ़ती बीमारियों में इसका सेवन लाभदायक है. पहले खीरे का उपयोग सालाद और जूस के तौर पर होता ही था, लेकिन अब बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी लोग सीडलेस खीरा डीपी-6 का सेवन अधिक करते है. ये खीरा बीजरहित तो है ही, साथ ही इसमें कड़वाहट भी नहीं है. यही वजह है कि अन्य किस्मों के मुकाबले इन खीरों का रेट भी ज्यादा है. डीपी-6 किस्म की खूबियों के कारण इसकी कीमत साधारण किस्मों की तुलना में 10 से 15 रुपये अधिक रहेगी.
खीरे की खेती का समय
उत्तर भारत में इसे दो बार फरवरी-मई और जुलाई-नवंबर में नेट हाउस में लगाया जा सकता है. जबकि दक्षिण भारत में इसकी खेती करते हैं तो इसे साल में तीनों बार नेट हाउस में लगाना होता है, इस किस्म का बीज आप पूसा संस्थान से ले सकते हैं.
कहां से खरीदें खीरे के बीज
पिछले कुछ वर्षों में सीडलेस खीरे की मांग बढ़ी है, लेकिन किसानों के लिए बड़ी समस्या आम है कि बढ़िया उत्पादन के लिए बीज कहां से खरीदे. सीडलेस खीरे का बीज पूसा-6 आप नई दिल्ली के पूसा संस्थान से मंगवा सकते हैं. आपको बता दें कि यह किस्म आईसीएआर आईएआरआई, पूसा इंस्टीट्यूट के सफल प्रयास से किसानों को मिला है.
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लाभ और पैदावर-
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डीपी-6 किस्म की रोपाई के बाद इसकी बेल पर जितने फूल खिलेंगे, उन सभी से फल का प्रोडक्शन मिल पाएगा. यह साल में 4 बार उग सकता है. खीरा की बेल की हर गांठ मे मादा फूल निकलते हैं, लेकिन इस किस्म की बेल पर जितने मादा फूल होंगे, उतने फलों का उत्पादन ले सकते हैं. करीब 1,000 वर्गमीटर में डीपी-6 बीजरहित खीरा की खेती करने पर 4,000 बेलदार पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसकी हर एक बेल से 3.5 किलो तक फलों की पौदावार मिल जाएगी.
लागत और मुनाफा
डीपी-6 सीडलैस खीरा की खेती के लिए एक एकड़ में खेती के लिए करीब 20,000 रुपये बीज का खर्च आयेगा. खेती कर रहे किसानों का कहना है कि साल में दो बार बीज रहित खीरे की खेती से 4 से 5 लाख का रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है. इसके अलावा पौधों की बिक्री से भी 1.5-2.00 लाख रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है.