Groundnut : मूंगफली का उत्पादन गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में किया जाता है. इन राज्यों में सूखे की वजह से मूंगफली के उत्पादन में किसानों के सामने काफी चुनौतियां आती है. यहां पर कम बारिश होने की वजह से मूंगफली का उत्पादन कम होता है और किसानों की आमदनी भी कम होती है. ऐसे में आज हम मूगंफली की किस्म डी.एच. 330 के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है.
खेती का तरीका
बुआई
इस मूंगफली की बुआई जुलाई के माह में की जाती है. यह बुआई के 30 से 40 दिन बाद अंकुरित होने लगती है. इसमें फूल बनने के बाद फलियां आने लगती हैं. अगर आपके इलाके में कम बारिश और सूखे की संभावना रहती है तो इसकी उत्पादकता में कमी नहीं होगी. इसके लिए 180 से 200 एमएम की बारिश पर्याप्त होती है.
मिट्टी की तैयारी
मिट्टी की तैयारी करने के लिए खेत की जुताई के बाद एक बार इसमें सिंचाई कर दें. बुआई के बाद जब पौधों में फलियां आने लगे तो पौधों की जड़ों के चारों ओर मिट्टी को चढ़ा दें. इससे फली का उत्पादन अच्छी तरह से होता है.
पैदावार
किसान मूंगफली की पैदावार बढ़ाने के कुछ फसल की बुआई के जैविक खाद का छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा इंडोल एसिटिक को 100 लीटर पानी में मिला कर समय-समय पर फसल पर छिड़काव करते रहें.
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रोगों से बचाव
मूंगफली की फसल में कॉलर रॉट रोग, टिक्का रोग और दीमक लगने की संभावना ज्यादा रहती है. इसके लिए कार्बेंडाजिम, मैंकोजेब जैसे फफूंदनाशक और मैंगनीज कार्बामेट की 2.5 किलोग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर हर 15 दिन के अंतराल पर 4 से 5 बार छिड़काव करना चाहिए,
मुगंफली की इस किस्म डी.एच. 330 की बुआई के अच्छे उत्पादन के लिए और किसी भी रोग से संबंध के बारे में कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की सलाह जरुर लें.