Leafy Vegetable Cultivation: सर्दियों के मौसम में बाजार व मंडियों में हरी सब्जियों की मांग अधिक बढ़ जाती है. इन दिनों बाजार में भी हरी पत्तेदार सब्जियों की कीमत भी काफी अधिक होती है. ऐसे में अगर किसान अपने खेत में हरी पत्तेदार सब्जियों की खेती करते हैं, तो वह कम खर्च में अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसी क्रम में आज हम सर्दियों के मौसम में बेहद मुनाफा देने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों की जानकारी लेकर आए हैं. सर्दियों के सीजन में सबसे अधिक खाए जाने वाली पत्तेदार सब्जी बथुआ, पोई साग, कलमी साग और सरसों साग है. इन सभी पत्तेदार सब्जियों में पोषण और औषधीय गुणों की मात्रा भरपूर होती हैं.
ये सभी पत्तेदार सब्जियों हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं और साथ ही किसानों को भी इन सब्जियों के दाम बाजार में काफी अधिक मिल जाते हैं. ऐसे में आइए इन सभी हरी पत्तेदार सब्जियों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
सर्दियों के सीजन की हरी पत्तेदार सब्जियां/ winter season green leafy vegetables
बथुआ- बथुआ की फसल का विकास तेजी से होता है. छोटे किसान भी बथुआ की खेती सीमांत जमीन पर भी कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से कई तरह की हर्बल दवाओं का निर्माण किया जाता है. क्योंकि इसमें फाइबर, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और ओमेगा-6 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है. किसानों के लिए बथुआ की काशी बथुआ-2 (हरी पत्तियां), काशी बथुआ-4 (बैंगनी-हरा), पूसा बथुआ-1 और पूसा हरा किस्में काफी फायदेमंद हैं.
पोई साग- पोई साग को कई स्थानों पर मालाबार पालक के नाम से भी जाता जाता है. पोई साग के पत्तों को ज्यादातर सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है. क्योंकि इसमें विटामिन और मिनरल की मात्रा काफी अधिक होती है. किसान पोईसाग की काशी पोई-1, काशी पोई-2 और काशी पोई-3 किस्म की खेती से अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
कलमी साग - कलमी साग में भी कई तरह के खास विटामिन पाए जाते हैं. इसका इस्तेमाल खाद्य पौधे के रूप में काफी अधिक किया जाता है. सर्दी के मौसम में यह साग आम तौर पर कई तरह की बीमारियों के लिए लाभकारी माना जाता है. जैसे कि यह साग सेक्स संबंधी बीमारियों से लेकर सर्दी-खांसी में फायदा पहुंचाता है. किसान कलमी साग की एक बार बुवाई करने के बाद करीब 3 साल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
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सरसों साग- सरसों के साग के बारे में सभी लोग जानते हैं कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है. दरअसल, इस सरसों के साग में आयरन, सल्फर, पोटेशियम, फास्फोरस और कई अन्य मिनरल्स की मात्रा भरपूर होती है. किसान सरसों साग से प्रति हेक्टेयर लगभग 519-629 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.