Chana ki Kheti: चने की खेती रबी सीजन में मुख्य रूप से उगाई जाने वाली फसलों में से एक मानी जाती है. चने की फसल एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल/Pulse Crop है जो प्रोटीन, ऊर्जा और कई पोषक तत्वों का स्रोत है. अगर आप किसान है और अपने खेत में चने की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अच्छी मिट्टी और सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होगी. इसके अलावा चने की खेती से अच्छी पैदावार के लिए किसानों को समय-समय पर इससे कृषि से जुड़े कार्यों को करना चाहिए. इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने राज्य के उन किसानों के लिए जो अपने खेत में चने की खेती से अच्छा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनके लिए एडवाइजरी जारी कर दी है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे हरियाणा सरकार, कृषि विभाग के द्वारा जारी किए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए किसान चने की फसल को रोग मुक्त कर अच्छी उपज प्राप्त कर सके.
चने की खेती के लिए जरूरी बातें
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किसान चने की फसल में फूल आने से पहले ही जरूरत के मुताबिक ही पानी को दें.
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इसके अलावा बारिश न होने के चलते चने की शीर्ष शाखाएं को तोड़ लें. ऐसा करने से चने के पौधे में फूलों व पत्तियों की संख्या तेजी से बढ़ना शुरू हो जाती है.
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वहीं, किसानों को चने की फसल में लगने वाले रोगों का भी ध्यान रखना है. आमतौर पर चने की फसल में कटुआ सुंडी रोग देखने को मिलता है. इसके बचाव के लिए किसानों को 50मिली साईपर मेथ्रीन 25ई.सी को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़कना चाहिए. यह घोल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.
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फली छेदक सुंडी रोग के बचाव के लिए किसान को 200मिली मोनोक्रोटोफॉस 36एस.एल 100 लीटर पानी की मात्रा में घोल लें. फिर इसे प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.
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इसके अलावा किसानों को चने की फसल की कटाई पर भी ध्यान देना चाहिए. जब फलिया अच्छे से पक जाए और पौधे सूखने शुरू हो जाए तो ऐसी स्थिति में फसलों की कटाई किसान को जमीन की सतह से करीब 4-5 सेमी पर करनी चाहिए.
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चने की उपज में ऐसे करें वृद्धि
किसान को अपने खेत में चने की रोग मुक्त किस्मों को ही लगाना चाहिए. इसके अलावा चने के बीज को लगाने से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें. फिर किसान को खेत में उर्वरकों का उपयोग पोरा के माध्यम से करनी चाहिए और बीज की बुवाई केरा के द्वार करें. ध्यान रहे कि चने का खेत खरपतवार से मुक्त होना चाहिए.