ज्वार, बाजरा, गेहूं, धान, जौ, चना, सरसों की अपेक्षा सब्जियों की खेती में कमाई की संभावना ज्यादा है. लेकिन ये मुनाफा काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम खेती किस तकनीक को अपनाकर करते हैं. जहां पहले किसान यह सोचते थे कि धान, गेहूं और मोटे अनाजों की खेती से वे अपनी आय बढ़ा सकते हैं, वहीं आज आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, तोरई, कद्दू, खीरा आदि की खेती से पूरे साल लाखों रुपये की कमाई की जा रही है. ऐसी ही एक सब्जी है- लौकी
लौकी दो आकार की होती हैं- पहली गोल और दूसरी लंबी वाली, गोल वाली लौकी को पेठा तथा लंबी वाली लौकी को घीया के नाम से जाना जाता हैं. इसकी तासीर ठंडी होती है. गर्म जलवायु वाले देशों में इसकी उपादेयता बहुत ज्यादा है. लौकी का इस्तेमाल सब्जी के अलावा रायता और हलवा जैसी चीजों को बनाने में भी किया जाता हैं. इसकी पत्तियों, तने व गूदे से अनेक प्रकार की औषधियां बनायी जाती है.
क्यों कहा जाता है इसे बॉटल गार्ड (why it is called bottle guard)
पहले लौकी के सूखे खोल को शराब या स्प्रिट भरने के लिए उपयोग किया जाता था इसलिए इसे बोटल गार्ड के नाम से जाना जाता है.
सदाबहार है लौकी
यह हर सीजन में मिलने वाली सब्जी हैं. इस सब्जी की मांग मंडी में हर समय काफी बड़े स्तर पर रहती है. किसान भाई इसकी खेती साल में तीन बार कर सकते हैं. लौकी की खेती से हमारे किसान कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
वर्ष में तीन बार कर सकते हैं लौकी की खेती
लौकी एक ऐसी कद्दूवर्गीय सब्जी हैं, जिसकी फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती हैं. जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल उगाई जाती है.
पोषक तत्वों से भरपूर है लौकी
आमतौर पर लोग लौकी को खाना बहुत ही कम पसंद करते हैं. अधिकतर लोगों को लौकी खाने से बचते हुए देखा गया है. कुछ को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है, तो कुछ को ये पता ही नहीं होता है कि ये कितनी फायदे चीज हैं. आज धीरे - धीरे लोग यह बात समझने लगे हैं, इसीलिए लौकी की मांग बढ़ी है. इसमें कई तरह के प्रोटीन, विटामिन और लवण पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम और जिंक पाया जाता है. ये पोषक तत्व शरीर की कई आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और शरीर को बीमारियों से सुरक्षित भी रखते हैं. इसके अलावा लौकी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कुछ गंभीर बीमारियों में औषधि की तरह काम करते हैं.
ऐसे करे लौकी की खेती (Do gourd farming like this)
लौकी की खेती में उपयुक्त भूमि : देश में लौकी की खेती को किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है. इसकी खेती उचित जल निकासी वाली जगह पर किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है. उचित जल धारण क्षमता वाली जीवाश्म युक्त हल्की दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त मानी गयी है. लौकी की खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए.
उपयुक्त जलवायु एवं तापमान
लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी बुआई गर्मी एवं वर्षा के समय में की जाती है. यह पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है. इसकी खेती को अलग-अलग मौसम के अनुसार विभिन्न स्थानों पर किया जाता है, किन्तु शुष्क और अर्द्धशुष्क जैसे क्षेत्रों में इसकी पैदावार अच्छी होती है. लौकी की खेती में 30 डिग्री के आसपास का तापमान को काफी अच्छा रहता है.
लौकी की फसल जल्दी तैयार करने का तरीका
लौकी की जल्दी और अधिक पैदावार के लिए आप इसके पौधों को नर्सरी में तैयार करके सीधे खेत में लगा सकते हैं. पौधों को खेत में रोपाई से लगभग 20 से 25 दिन पहले तैयार किया जाता है. इसके लिए आप तैयार खेत में एक तरफ इसकी नर्सरी तैयार करें. इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए पहले आप जो मिट्टी लेते हैं उसमें 50 प्रतिशत कंपोस्ट खाद और 50 प्रतिशत मिट्टी का प्रयोग करें. खाद एवं मिट्टी का अच्छे से मिश्रण बनाकर के क्यारियों का निर्माण करें. इन तैयार क्यारियों में पानी लगाकर लौकी के बीजों को लगभग 4 से.मी. की गहराई पर बुवाई करके मिट्टी की पतली परत बिछा लें तथा हल्की सिंचाई करें. लगभग 20 से 25 दिन बाद पौधे खेत में लगाने के योग्य तैयार हो जाते हैं.
लौकी बुवाई का समय
लौकी की साल में तीन बार उगाई जाती है. जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल उगाई जाती है.
उर्वरक (Fertilizer)
लौकी की खेती में सही उवर्रक मात्रा के लिए खेत की मिट्टी परीक्षण के आधार पर इसकी खेती में उवर्रक की सही मात्रा तय करें. इसकी खेती में पहले खेत को तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद को अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद रासायनिक खाद के लिए 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में दे सकते हैं.
फसल की सुरक्षा
लौकी की फसल को जल्दी रोग लगता है. इसकी फसल में मुख्य रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे प्रमुख रोग का ज्यादातर प्रकोप रहता है. इसकी जड़ों से लेकर बाकी हिस्सों में कीड़े भी लगते हैं. लौकी की उन्नत खेती एवं उन्नत पैदावार के लिए किसान भाई को इसकी फसल को इन कीटों एवं वायरसों के प्रकोप से भी बचाना जरूरी है. इसके लिए किसान भाई को इन कीटों एवं रोगों के प्रति सचेत रहना चाहिए एवं कृषि विशेषज्ञ की सलाह से कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके फसल का उपचार एवं निवारण करते रहना चाहिए.
लौकी की खेती से एक लाख तक का मुनाफा
इसके बीजों की खेत में रोपाई के लगभग 50 से 55 दिनों के बाद इसकी फसल पैदावार देना आरंभ कर देती है. जब इसके फल सही आकार और गहरा हरा रंग में ठीक-ठाक प्रकार का दिखने लगे तब उनकी तुड़ाई कर लें. फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें. इससे फल कुछ समय तक ताजा बना रहता है. फलों की तुड़ाई के तुरंत बाद उन्हें पैक कर बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए. लौकी की फसल में पैदावार की बात करें, तो इसकी खेती कम खर्च में अच्छी पैदावार देने वाली खेती हैं. लौकी की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 15 से 20 हजार की लागत आती है और एक एकड़ में लगभग 70 से 90 क्विंटल लौकी का उत्पादन हो जाता है बाजारों में भाव अच्छा मिल जाने पर 80 हजार से एक लाख रुपए की शुद्ध आय होने की संभावना रहती है.
तो किसान भाइयों ! यह फायदे की फसल है. आपको लौकी की खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए .