ग्लेडियोलस एक बहुत ही सुन्दर फूल है यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय फूलों में से एक भी है. इसलिए इसके फूलों की मांग देश-विदेश में है. भारत में ग्लेडियोलस सबसे लोकप्रिय व्यावसायिक कट लावर फसल बन गयी है.
किसान आसानी से खेती कर अपने आसपास के मार्केट में बेच सकते हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में अच्छे मुनाफे ने किसानों का ध्यान इस खेती की ओर खींचा है. जो काफी मुनाफेमंद है. ग्लेडियोलस एक बारहमासी बल्बनुमा पौधा फूल परितारिका परिवार का सदस्य है इसे ‘‘लिली तलवार’’ भी कहा जाता है. आइए जानते हैं ग्लेडियोलस उगाने का तरीका
भूमि और जलवायु-
ग्लेडियोलस की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन बलुई दोमट मृदा जिसका पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच हो और जीवांश पदार्थ की प्रचुरता हो, साथ ही भूमि के जल निकास का उचित प्रबंध हो, उसे सबसे अच्छा मानते हैं. खुला स्थान जहां पर सूर्य की रोशनी सुबह से शाम तक रहती हो, ऐसे स्थान पर ग्लेडियोलस की खेती सफलतापूर्वक होती है. खेती के लिए तापक्रम 16 डिग्री सेंटीग्रेट और अधिक तापक्रम 23 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट उपयुक्त होता है.
भूमि की तैयारी और बुवाई-
2-3 बार अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. इसके लिए खेत की गहरी जुताई करें. क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक नहीं जाती है. ग्लेडियोलस की खेती घनकंदों (कार्मस) से होती है. बुवाई करने का सही समय मध्य अक्टूबर से लेकर नवंबर तक रहता है. किस्मों को उनके फूल खिलने के समयानुसार अगेती, मध्य और पछेती के हिसाब से अलग-अलग क्यारियों में लगाना चाहिए.
ग्लेडियोलस की खेती में सिंचाई -
पहली सिंचाई घनकंदों के अंकुरण के बाद करनी चाहिए. फिर सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल और गर्मियों में 5-6 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए.
रोपाई के 10-15 दिन बाद जब कंद अंकुरित होने लगे तब पहली सिंचाई करनी चाहिए. फसल में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए और पानी सिंचाई की वजह भरा भी नहीं रहना चाहिए. अन्य सिंचाई मौसम के अनुसार आवश्यकतानुसार करनी चाहिए जब फसल खुदने से पहले पीली हो जाये तब सिंचाई नहीं करनी चाहिए.
फूलों की कटाई-
घनकंदों की बुवाई के बाद अगेती किस्मों में लगभग 60-65 दिनों में, मध्य किस्मों 80-85 दिनों और पछेती किस्मों में 100-110 पुष्प उत्पादन शुरू हो जाता है. पुष्प दंडिकाओं को काटने का समय बाजार की दूरी पर निर्भर करता है.