कपास की फसल में उच्च पोषण
प्रबंधन बेहतर पैदावार और रेशों की गुणवत्ता में सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कपास में आम तौर पर मृदा पोषण और आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पर्णीय पोषण किया जाता है, और जहां पर ड्रिप सिचांई की सुविधा है वहां किसान फर्टिगेशन भी कर रहे हैं.
किसान पहले की तुलना में अधिक उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं, परतुं जैसा कि हम सभी जानते हैं की हमारी ज्यादातर खेतों की मृदा का pH बढ़ा हुआ है इसलिए आम तौर पर उर्वरकों की कार्य क्षमता घट गयी है ऐसे में हमें समान्य उर्वरकों के साथ न्यूट्रल और कम pH की खाद भी अपनानी चाहिए ताकि उर्वेरकों से प्राप्त पोषक तत्व ज्यादा से ज्यादा पौधों को उपलब्ध हो सके और बेहतर फसल पोषण के साथ अच्छी उपज ली जा सके.
ICL स्पेशलिटी फर्टीलाइजर्स में विश्व की एक अग्रणी कंपनी है और पिछले कुछ वर्षों से भारत में इजराइल टेक्नोलॉजी पर आधारित कई अनोखे न्यूट्रल और कम pH के उर्वरकों को उपलब्ध करा रही है जिसका उपयोग कर किसान बेहतर उपज ले रहे हैं. ICL के उत्कृष्ट उर्वरकों के साथ कपास की उच्चतम उपज और अधिकतम गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है.
कपास में पोषक तत्वों का महत्व
नाइट्रोजन (¼N½ ): कपास में नाइट्रोजन की उपयुक्त मात्रा फसल की बढ़वार, टिंडों की संख्या, बीज के वजन और उपज में सुधार के लिए आवश्यक है. कपास में नाइट्रोजन उपयोग के बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए, कुल नाइट्रोजन उपयोग का एक तिहाई बुवाई के समय और शेष अगस्त की शुरुआत तक सिंचाई के बीच बराबर मात्रा में विभाजित कर प्रयोग करना चाहिए.
फास्फोरस (¼P½): पौधों में फॉस्फेट जड़ों के विकास, ऊर्जा संतुलन, बीज के वजन, तेल और प्रोटीन निर्माण के साथ-साथ कपास की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है. पौधों में अपर्याप्त P होने पर फसल की बढ़वार रुक जाती है तथा टिंडों के बनने और परिपक्वता में देरी होती है जिसके परिणामस्वरूप उपज में भारी कमी हो सकती है.
पोटैशियम (K): कपास उत्पादन में पोटैशियम विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. पौधों में पोटैशियम की उचित मात्रा फसल में विल्ट अथवा उखेड़ा रोग के प्रभाओं को कम करने, पानी के उपयोग की दक्षता को बढ़ाने और रूई की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है. पोटाश की कमी होने पर फसल सूखे और बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, और कपास की गुणवत्ता एवं उपज दोनों ही प्रभावित होती है.
कपास में प्रमुख पोषक तत्वों का अपटेक (प्रति टन कपास उत्पादन)
N |
P_O_ |
K_O |
43-2 kg |
29-3 kg |
53-3 kg |
Source: FAI Fertilizer statics] 2020-21
कपास के लाभदायक उत्पादन के लिए सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सूक्ष्म पोषक तत्व मुख्यतः जिंक, आयरन और बोरोन बहुत महत्वपूर्ण हैं. कपास में बोरान की पर्याप्त आपूर्ति फूल और टिंडे बनने के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
कपास की खेती में मृदा पोषण के साथ फसल की महत्वपूर्ण अवस्थाओं पर पर्णीय पोषण अधिकतम उपज के लिए बहुत उपयोगी है.
कपास की खेती में ICL उर्वरकों का प्रयोग
Polysulphate यह एक प्राकृतिक खनिज (Dihydrate Poly Halite) है जिसमें चार मुख्य पोषक तत्व पोटैशियम (13-5% K2O), सल्फर (18-5%), कैल्शियम
(16-5% CaO) और मैग्नीशियम (5-5% MgO) उपलब्ध हैं. पॉलीसल्फेट पानी में धीमे घुलता है और मृदा में अपने पोषक तत्वों को धीरे-धीरे छोड़ता है. पॉलीसल्फेट की यह विशेषता इसके तत्वों की उपलब्धता को फसल की जरुरत के अनुसार बनाये रखने में अति महत्वपूर्ण है और उपज में वृद्धि और बेहतर गुणवत्ता के लिए बेहद फायदेमंद भी. कपास में बुवाई के समय 75-100 kg/acre की दर से पॉलीसल्फेट का प्रयोग क़र कपास की S,Ca,Mg की सम्पूर्ण और पोटैशियम की आंशिक जरूरत को पूरा किया जा सकता है.
PeKacid™ 0-60-20: यह ICL द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया जल में घुलनशील कम pH का एक विशेष PK फॉर्मूला है जो खारे पानी और कैल्केरियस मृदा में फास्फोरस के लिए बहुत उपुक्त उर्वरक है. PeKacid™ पानी और मिट्टी के pH को कम करता है, जिससे पोषक तत्वों की उपलब्धता और दक्षता में सुधार देखने को मिलता है. फर्टिगेशन में PeKacid™ का काफी बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है और किसान खारे पानी और जहाँ मृदा pH अधिक है इस खाद का प्रयोग कर बेहतर पैदावार ले रहे हैं. वैसे तो यह खाद फर्टिगेशन में प्रयोग लिए संस्तुत की गयी है परंतु इसका सिमित मात्रा में यूरिया के साथ फसल में छिड़काव के भी बेहतर परिणाम मिले हैं. जिन खेतों में मृदा pH अधिक है किसान PeKacid™ का प्रयोग कर फास्फोरस की उपलब्धता को बेहतर कर सकते हैं. हमें कपास की खेती में पहले पानी के बाद यूरिया के साथ 10-12 kg/acre PeKacid™ प्रयोग के बेहतर परिणाम मिले हैं.
FertiFlow 12-6-22+12CaO: यह एक विशेष NPK फॉर्मूला है इसका भी फर्टिगेशन में व्यापक उपयोग हो रहा है, इसमें उपलब्ध अतिरिक्त कैल्शियम पौधों में कैल्शियम की आवशयकता को पूरा करने और कमी को दूर करने में प्रभावी होता है. कपास की फसल में दूसरे पानी के बाद यूरिया छिड़काव के साथ 10 -12 kg/acre FertiFlow 12-6-22+12CaO का प्रयोग कपास की गुणवत्ता और उपज के लिए बहुत लाभदायक है. कपास की उच्च पैदावार और गुणवत्ता के लिए मृदा पोषण के साथ फसल में पर्णीय पोषण का बहुत महत्व है.
NutriVantTM Foliar Nutrition: ICL न्यूट्रीवांट फोलिअर न्यूट्रीशन जल में घुलनशील NPK और सूक्ष्म पोषक तत्वों के फ़ॉर्मूलेशन्स हैं जो फसल की वानस्पतिक, पुष्प और फल बनने की अवस्थाओं के लिए बहुत उपयोगी और फायदेमंद हैं. कपास में ICL की नूट्रीवांट फोलिअर लाइन का उपयोग कर कपास की उपज और रेशों की गुणवत्ता को ओर बेहतर किया जा सकता है.
स्टार्टर NPK 11-36-24: यह फसल की वनस्पतिक अवस्था के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया फार्मूला है. जिसका कपास में 30-40 दिन की फसल में 10 ग्राम प्रतिलीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव कपास की वनस्पतिक बढ़वार और टिंडों की सेटिंग के लिए बहुत उपयोगी है.
पीकवांट PK 0-49-32: पुष्प अवस्था के लिए फसलों में पीकवांट सबसे उपयुक्त पर्णीय पोषण फार्मूला है परन्तु कपास में 50-100 दिन की अवस्था में वनस्पतिक बढ़वार, पुष्प और टिंडे बनना सब एक साथ होता रहता है इसलिए न्यूट्रीवांट बूस्टर फार्मूला कपास के लिए ज्यादा उपयोगी है, परन्तु अगर कीटनाशकों के साथ पर्णीय पोषण करना हो तो पीकवांट पुष्प अवस्था के लिए उपयुक्त फॉर्मूला है.
बूस्टर NPK 8-16-39: न्यूट्रीवांट बूस्टर कपास में टिंडे बनने के दौरान सबसे उपयुक्त पर्णीय पोषण पैकेज है. इसका कपास की फसल में पुष्प से टिंडे बनने की अवस्था के दौरान 15 दिन के अंतराल पर 10 ग्राम प्रतिलीटर पानी में घोलकर इसका एक या दो छिड़काव बहुत उपयोगी हैं.
फ्रूट NPK 12-5-27 +8CaO: न्युट्रीवांट फ्रूट NPK फार्मूला फसल में फ्रूट डवलपमेंट की अवस्था में सभी NPK, Ca और सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत को ध्यान ऱख कर बनाया गया है. इसमें उपलब्ध पोटैशियम और कैल्शियम का स्तर फल की गुणवत्ता में सुधार करने में बहुत उपयोगी है. कपास में पहली पिकिंग से न्युट्रीवांट फ्रूट NPK का 15 दिन के अंतराल से 1-2 छिड़काव न्यूट्रीवांट बूस्टर के विक्लप के रूप कपास की उच्च गुणवत्ता और बेहतर उपज के लिए बहुत उपयोगी है.