भारत में अक्सर किसान पारंपरिक फसलों को ही उगाते हैं. लेकिन आज के समय में पारंपरिक फसलों में मुनाफ़ा कम होने के कारण लोगों का इससे मोहभंग होता जा रहा है और किसान ऐसी फसलों की ओर आकर्षित होते जा रहे हैं जिनमें कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा मिले और घाटा लगने की संभावना कम हो. इसमें प्रमुख रूप से गेंदा, गुलाब, जरबेरा, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी आदि प्रकार की फसलें सम्मिलित हैं.
वर्तमान समय में फूलों की खेती के बारे में बात करें तो जरबेरा फूल की खेती सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा देने वाली फसल है. जरबेरा मूलत: अफ्रीका महाद्वीप की एक फूल की किस्म है. बीते कई सालों से भारत में भी इसकी खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ता जा रहा है. जरबेरा के पौधे साल भर फूलों की उपज देते हैं और इसके फूलों की अलग ही पहचान है ये दिखने में इतने सुंदर होते हैं कि लोग बस एकटक इनको देखते ही रह जाते हैं. इसके अलावा इसमें लाल, पीले, नारंगी और सफेद रंग के फूल आते हैं. इन फूलों का शादी या अन्य दूसरे समारोह में सजावट करने के लिए उपयोग किया जाता है.
जरबेरा की खेती करने का तरीका
जरबेरा एक बहुत ही महंगा और बाज़ार में आसानी से न मिलने वाला एक फूल है और इसकी फसल में अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए ज़मीन को कुछ इस प्रकार से तैयार कर सकते हैं:
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सबसे पहले इसके लिए हल्की क्षारीय और उपजाऊ किस्म की भूमि का चयन करना चाहिए .
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और उसके बाद उस खेत की कम से कम चार बार जुताई करनी चाहिए.
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मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ नारियल का भूसा भी मिलाना जरुरी है.
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पौधों की रोपाई करते समय ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 30 से 40 सेमी की होनी चाहिए.
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पौधों की रोपाई के बाद इसकी नियमित तौर पर सिचांई करना जरुरी होता है.
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अगर संभव हो सके तो जरबेरा की खेती पॉलिहाउस में ही करनी चाहिए क्योंकि इन पौधों के लिए अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस उचित रहता है.
जरबेरा की इन किस्मों को लगाना चाहिए
जरबेरा लोगों को आकर्षित करने वाला एक ऐसा फूल है जिसकी मांग सिर्फ इंडिया में ही नहीं पूरे विश्व में साल भर बनी रहती है. आपको इसकी खेती करते समय एक बात का और ध्यान रखना चाहिए कि इसकी मुख्य किस्में जैसे- लॉस डाल्फिन, सेंट्रल ओलंपिया, नवादा,कोरमॉरोन या फिर हाइब्रिड किस्मों में रूबी रेड, डस्टी, शानिया, साल्वाडोर, तमारा, फ्रेडोरेल्ला, वेस्टा, रेड इम्पल्स, आदि प्रमुख किस्मों को ही लगाएं. जानकारी के लिए आपको बता दें कि जरबेरा की नई किस्में अधिक मात्रा में उपज देने वाली हैं.
जरबेरा की ख़ासियत
जरबेरा एक बर्ष में कई प्रकार के फूल देता है इसकी खासियत यह है कि इसमें पहले दो महीनों में बहुत ज़्यादा तादाद में कलियां आती हैं इन कलियों को आपको तोड़ते रहना चाहिए. इन कलियों को तोड़ते रहने से यह होता है कि जब तीन महीने पूरे हो जाते हैं तो बड़े पैमाने पर यह फसल तैयार होती है और रंग-बिरेंगे सुगंधित फूलों की बहार आ जाती है. इस समय जरबेरा के एक ही पेड़ में लगभग पांच प्रकार के फूल आने लगते हैं.
एक एकड़ में जरबेरा का बीज इतना लगता है
एक एकड़ में लगभग 28 हजार जरबेरा के बीजों की जरूरत होती है. वैसे तो जरबेरा की खेती के लिए वसंत ऋतु का मौसम उपयुक्त माना जाता है लेकिन इसे जून या जुलाई महीने में भी बोया जा सकता है. इसके हिसाब से यह से जरबेरा की खेती लिए बुवाई करने के लिए एकदम उपयुक्त है.
भारत में जरबेरा की खेती में सबसे अव्वल जिला
भारत में अगर जरबेरा की खेती की बात की जाए तो हमारे सामने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का नाम सबसे पहले आता है. इस जिले में कई ऐसे युवा हैं जो कि अपनी अच्छी खासी कमाई वाली नौकरी को छोड़कर जरबेरा की खेती कर रहे हैं.