जेरेनियम एक सुगंधित और जड़ी-बूटी वाला झाड़ीदार पौधा है, जिसकी खेती सालभर की जाती है. यह एक बारहमासी वार्षिक पौधों में से एक है.जेरेनियम की खेती व्यावसायिक रूप से इसके आवश्यक तेल के लिए की जाती है और साथ ही इसे सजावटी उद्देश्य के लिए भी उगाया जाता है.इस पौधे को गरीबों के गुलाब के नाम से भी जाना जाता है.जेरेनियम पौधे के पत्तों, तनों, और फूलों से निकाले गए तेल से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. इसके अलावा, इसका उपयोग सुगंधित उत्पादों के निर्माण के लिया जाता है.
जेरेनियम का तेल व्यावसायिक रुप से इसकी प्रजाति गेरानियासी के पेलार्गोनियम ग्रेवोलेंस से निकाला जाता है. जेरेनियम फूलों के बारहमासी पौधों की 420 प्रजातियों का एक जीनस है, जिसे आमतौर पर क्रेनबिल के रूप में जाना जाता है.जेरेनियम के पौधे के विवरण की बात करें तो इसके पौधे का तना बेलनाकार, पीला और हरा होता है. इस पौधे की पत्तियां प्राकृतिक रुप से अत्याधिक सुगंधित होती हैं.इसकी पत्तियों/फूलों में गंध गुलाब जैसी होती है.
बता दें कि जेरेनियम को रोज जेरेनियम के नाम से भी जाना जाता है. इसका आमतौर पर कॉस्मेटिक और परफ्यूमरी उत्पादों में उपयोग होता है. तेल के मुख्य तत्व गेरानियोल और सिट्रोनेलोल हैं और शुद्ध जेरेनियम तेल लगभग अपने आप में एक इत्र है और अन्य सभी इत्रों के साथ बहुत अच्छी तरह से मिश्रित होता है.
प्रमुख प्रजातियां
भारत में इसकी प्रजातियां कुछ इस प्रकार हैं -अल्जीरियाई, रीयूनियन, हेमंती, बीपूली और कुंती.
जलवायु और मिट्टी
जेरेनियम की खेती से अच्छा पैदावार प्राप्त करने के लिए कम नमी वाली जलवायु बढ़िया मानी जाती है.जेरेनियम की खेती उस क्षेत्र में की जाती है जहां वार्षिक जलवायु 100 से 150 से.मी. होती है.इसकी फसल के लिए मिट्टी बालुई, दोमट और हल्की शुष्क होनी चाहिए . इसके साथ ही, जेरेनियम फसल को कार्बनिक पदार्थों से भरपूर जल निकासी वाली झरझरा मिट्टी की आवश्यकता होती है.
पौधा कैसे तैयार करें?
आमतौर पर जेरेनियम का पौधा कटिंग द्वारा तैयार किया जाता है, क्योंकि इन प्रजातियों में कोई बीज सेटिंग नहीं होती है.इसकी पौध तैयार करने के लिए 8-10 से.मी. ऊचीं क्यारियां बना कर उसमें खाद डालें.इसके बाद 5-7 गांठ वाली टहनी सितंबर से अक्टूवर के महीने बाद 10-15 से. मी. लंबी टहनी काटकर लगा दें.
पौधे की रोपाई, खाद एवं उर्वरक
इन उपचारित कलमों को उचित छाया वातावरण में दिन में दो बार सिंचाई करनी चाहिए और ये कटिंग नर्सरी बेड में रोपने के दो महीने बाद खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाएगी.जड़ वाले कलमों को 0.1% बेलनेट घोल से उपचारित करें और 60 सेमी की दूरी पर खेत में तुरंत रोपित करें.इसकी कटाई के लिए आवश्यक 1 एकड़ भूमि लगभग 10 हजार है और 1 हेक्टेयर भूमि 25 हजार है.इसकी अच्छी उपज के लिए इसमें गोबर की खाद ड़ालनी चाहिए, जिससे की पौधे की विकास सही रुप से हो सके.इसके साथ ही नाईट्रोजन की मात्रा 150 किलोग्राम, फासफोरस 60 किलोग्राम, और पोटाश की 40 किलोग्राम की समुचित मात्रा देनी चाहिए.
सिंचाई
इसकी सिंचाई की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, पौधे के विकास की अवस्था और जलवायु पर निर्भर करती है.हालांकि इस फसल को मध्यम सिंचाई और भारी बारिश की आवश्यकता होती है, इसलिए अधिक पानी देने से तना सड़ जाएगा और उपज कम हो जाएगी.
पत्तियों की कटाई
इस पौधे की पत्तियों की कटाई 3-4 महीने के बाद करनी चाहिए जब वे परिपक्व हो जाती है.ध्यान रखें कि इनकी कटाई करते समय इनका रंग पीला नहीं होना चापे साथ ही पत्तियां रसभरी नहीं होनी चाहिए.
फसल की कटाई
जेरेनियम की फसल खेत में रोपाई के लगभग 4 महीने बाद कटाई की अवस्था में पहुँच जाती है.
जेरेनियम की फसल से कमाई
भारत में इसके तेल का बाजार भाव लगभग 850-1000 प्रति किलोग्राम है.यदि ठीक से योजना बनाई जाए, तो इस हर्बल जेरेनियम की खेती से अधिक लाभ प्राप्त करने की बहुत बड़ी गुंजाइश होती है.