इस समय पहाड़ी इलाकों वाले क्षेत्रों में झुलसा रोग लगने की संभावना अधिक रहती है. ऐसी ही कुछ खबर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर से आ रही है. खेतों में ही लहसुन फसल की पत्तियां पीली पड़ जा रही हैं. किसानों का मानना है कि प्रमुख नकदी फसल लहसुन में झुलसा रोग हो गया है. ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है.
बता दें कि कई बार दवाइयों का छिड़काव से भी रोग जाने का नाम नहीं ले रहा है. जिसे लेकर यहाँ के किसान परेशान दिख रहे हैं. इन दिनों लहसुन के पौधों में गांठ बननी शुरू हो गई है.
क्या है झुलसा रोग ?
यह एक जीवाणुजनित रोग है. इस रोग का प्रकोप खेत में एक साथ न शुरू होकर कहीं-कहीं शुरू होता है तथा धीरे-धीरे चारों तरफ फैलता है. इसमें पत्ते ऊपर से सूखना शुरू होकर किनारों से नीचे की ओर सूखते हैं. गंभीर हालात में फसल पूरी सूखी हुई पुआल की तरह नजर आती है. इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर रोपोई या बुवाई के 20 से 25 दिन बाद दिखाई देते हैं. सबसे पहले पत्ती के किनारे वाला ऊपरी भाग हल्का नीला-सा हो जाता है तथा फिर मटमैला हरापन लिये हुए पीला सा होने लगता है. रोगग्रसित पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनमें कंसे कम निकलते हैं.
क्या है उपाय ?
कृषि वैज्ञानिक प्रदीप कुमार बताते हैं कि झुलसा रोग की रोकथाम के लिए समय से उपचार बहुत जरूरी होता है इस समय किसानों को कार्बोडाईजाइम और मेंकोजेब का छिड़काव करना चाहिए. इसके आलावा मेंकोजेब 300 मिली या कंपेनियन 500 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही हिनोसान या बाविस्टिन (0.1 प्रतिशत) रसायन का छिड़काव 12-15 दिन के अन्तर से करें, इससे भी इस रोग से छुटकारा मिल सकता है.