फलों की थिनिंग का मतलब वृक्ष पर फलों की संख्या को कम करने से होता है. इसका उद्देश्य पौधे पर फलों के अत्यधिक दबाव को कम करना होता है. अगर इस काम को सही समय पर नहीं किया जाता है तो इससे पेड़ का विकास रुक जाता है और फलों का आकार भी छोटा होने लगता है. फलों के अधिक दबाव से पेड़ को क्षति का सामना करना पड़ता है और इसका संतुलन भी बिगड़ जाता है.
थिनिंग करने की विधि
भौतिक तरीका
इस प्रक्रिया में आप कुछ फलों को अपने हाथों से तोड़ सकते हैं. इसके अलावा शाखाओं को जोर से हिलाकर कमजोर फलों को थिनिंग करना शुरू कर सकते हैं. अगर अभी भी पेड़ों में अतिरिक्त फल हैं तो शाखाओं को ऊपर से नीचे तक पतला किया जा सकता है. किसान भाई फल को निकालने के लिए उसके डंठल को किसी औजार या हाथ की मदद से तोड़ सकते हैं.
इस थिनिंग के दौरान आप सभी छोटे, कम आकार के फलों के साथ-साथ कीट या बीमारी से ग्रसित फलों को भी हटा सकते हैं. इस थिनिंग प्रक्रिया में किसानों को थोड़ा प्रशिक्षण की जरुरत होती है, ताकि वह काम को अधिक कुशलतापूर्वक नियोजित तरीके से कर सकें.
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रासायनिक तरीका
इस थिनिंग प्रक्रिया में किसान भाई एथेफॉन, नेफ़थलीन एसिटिक एसिड का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के फलों की थिनिंग कर सकते हैं. इन रसायनों का उपयोग फलों के शुरुआत के खिलने की अवस्था में किया जाता है. रसायन का उपयोग की मात्रा और समय को कृषि विशेषज्ञ से सलाह पर ही छिड़काव किया जा सकता है.
किन फलों में करें थिनिंग
थिनिंग की प्रक्रिया ज्यादातर गुच्छेदार फलों में की जाती है, जिनमें अंगूर, चेरी और बेर जैसे फल आते हैं.
थिनिंग का उद्देश्य
फलों को थिनिंग से इसके उत्पाद का प्रसंस्करण और बिक्री अच्छी होती है.
इससे फलों के आकार में सुधार होता है और बाजार में यह अच्छे दाम पर बिकते हैं.
इससे पेड़ का जीवनकाल बढ़ने के साथ-साथ इसकी शक्ति और उत्पादकता भी बढ़ती है.
थिनिंग से लाभ
फलों की थिनिंग करने से इन्हें एक बेहतर आकार मिलता है और साथ ही यह दिखने में काफी सुंदर लगते हैं. बाजार में ऐसे फलों की मांग बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में अगर किसान भाई फलों की थिनिंग करते हैं तो वह काफी बेहतर कमाई कर सकते हैं.