भारत में खेती-किसानी करना एक लंबी और बेहद पुरानी परंपरा है, इसके बारे में संक्षिप्त में अगर कहा जाए, तो यह भारतीय संस्कृति का एक अटूट हिस्सा है, लेकिन इस परंपरा को बरकरार रखने के लिए किसानों के पास सही और उम्दा किस्म की जानकारी होना बेहद जरुरी है. जिसका वर्तमान समय में काफी अभाव दिखता है. लेकिन आज का यह लेख हमारे किसान भाईयों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि आज के इस लेख में हम किसानों को रबी की फसल में ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने की कुछ अहम टिप्स देने जा रहे हैं.
रबी की फसल में ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए टिप्स कुछ इस प्रकार हैं:
खेती की गहरी जुताई करना
ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करना बेहत जरुरी होता है और इसकी जुताई के लिए ट्रैक्टर, रोटावेटर, कल्टीवेटर आदि उपकरणों का इस्तेमाल खेत में करें. इससे कम मेहनत और कम समय में खेत की तैयारी की जा सकती है. इसके अलावा एक फायदा यह है कि बारिश के मौसम में पानी खेत के अंदर तक पहुंचता है.
बुवाई समय पर करें
रबी फसलों की बुवाई कुछ दिनों के बाद शुरु हो जाएगी, इसलिए अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए समय पर बुवाई करना बेहद जरुरी होता है. अगर सही समय पर बुवाई नहीं की जाती है तो उसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ता है.
बुवाई से पहले बीजों का उपचार करें
बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना जरुरी होता है, क्योंकि अगर बीजों में किसी प्रकार का रोग है तो उसकी वजह से पौधे को उगने में काफी ज्यादा दिक्कत होती है, लेकिन बीज का उपचार करने के बाद फसल अच्छी होती है और रोगों का डर बहुत कम रहता है.
अच्छी किस्म के बीज बोएं
बुवाई से पहले ये जरुर ध्यान रखें कि अच्छी किस्म के बीज हों ताकि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकें. इसके अलावा विश्वसनीय दुकानदार से ही बीज खरीदें ताकि आपके साथ धोखा न हो सके. अच्छी किस्म के बोने वाले बीजों की अगर बात की जाए, तो सामान्य बीजों की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.
दलहनी तिलहनी फसलों में जिप्सम का प्रयोग कर सकते हैं
दलहनी और तिलहनी फसलों में जिप्सम का प्रयोग कर अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है. बुवाई से पहले खेत में 250 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से डालना चाहिए. जिप्सम होने वाले फायदे की बात की जाए, तो इससे दाने चमकीले होते हैं और 10 से 15 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होती है. इसके अलावा जिप्सम का प्रयोग फसलों को पाले से बचाने के लिए भी किया जाता है.
बीजों के बीज में उचित दूरी रखें
फसल बोने के समय बीजों के बीच में उचित दूरी और उन्हें कतार में बोना बेहद जरुरी होता है, क्योंकि किसी भी बीज को उगने के लिए एक निश्चित जगह और पोषण की जरुरत होती है. पौधों से पौधों की दूरी उचित रहने से यह फायदा होगा कि फसल की अच्छी पैदावार होगी और अधिक उत्पादन प्राप्त होगा.
फसल चक्र का ध्यान रखें
खेत की उर्वरक शक्ति को बरकराक रखने के लिए फसल चक्र का ध्यान रखें यानी कि बदल-बदल कर फसलें बोनी चाहिए. फसलों को बदल-बदल कर बोने से फसल में कीटों का प्रकोप कम रहता है. रबी के सीजन में - गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीन, रिजका - हरे चारे की खेती, मसूर, आलू, राई, तंबाकू, लाही, जई जैसे फसल चक्र अपनाया जा सकता है.
इंटर क्रोपिंग करें
खेती में ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की तकनीक अपनाई जाती हैं जिसमें से इंटर क्रोपिंग भी एक तरीका है. इस तकनीक के तहत एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलें बोई जाती हैं. इंटर क्रोपिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें फसल खराब होने का जोखिम कम होता है यानी कि अगर गेहूं और चना की खेती एक साथ की गई है तो एक फसल के खराब होने पर दूसरी फसल उसकी भरपाई कर देगी. इस प्रकार इंटर क्रोपिंग अधिक उत्पादन प्राप्त करन के लिए काफी फायदेमंद है.
सही समय पर फसलों की सिंचाई करें
फसल को सही समय पर पानी मिलना बेहद जरुरी होता है, क्योंकि खेत में अगर नमी नहीं होगी तो पौधों की ग्रोध पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा. जैसे गेहूं की फसल में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए 4 से 6 सिंचाइयां की जाती हैं.
फव्वारा और ड्रिप सिंचाई सिस्टम का उपयोग करें
सिंचाई करने के लिए फव्वारा और ड्रिप सिंचाई सिस्टम का उपयोग करें ताकि फसल को जितने पानी की जरूरत है उसे उतना ही मिले. इससे एक ओर कम पानी में अधिक सिंचाई संभव हो सकेगी, वहीं बूंद-बूंद जल का उपयोग भी हो सकेगा.
मित्र का कीटों का बचाव करें
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खेत में कई प्रकार के मित्र कीट होते हैं यानी कि फसल को नुकसान न पहुंचाकर फायदा करने वाले कीट होते हैं. जैसे प्रेइंग मेंटिस, इंद्रगोपभृंग, ड्रैगन फ्लाई, किशोरी मक्खी, झिंगुर, ग्राउंड विटिल, रोल विटिल, मिडो ग्रासहापर, वाटर बग, मिरिड बग ये सभी मित्र कीट हैं, जो फसलों व सब्जियों में पाए जाते हैं. ये हानिकारक कीटों के लार्वा, शिशु एवं प्रौढ़ को प्राकृतिक रूप से खाकर नियंत्रित करते हैं.