Flower Cultivation: अगर आप भी फूलों की खेती कर रह हैं या खेती करने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आप ही के लिए है. फूलों की खेती करने वाले खासकर इस खबर में बताई गई वैज्ञानिकों की सलाह पर गौर करें. दरअसल, गुरुवार को लखनऊ जिले के सरोजनी नगर के रसूलपुर गांव में आयोजित किसान करवां कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती के उत्तम तरीकों की जानकारी दी. इस दौरान किसानों को अनाज की खेती छोड़कर फूल और सब्जियों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके.
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अखिलेश दुबे ने बताया कि किसान को अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए फसल अवशेष का इस्तेमाल करना होगा. फसलों के बचे हुए अवशेष को वर्मी कंपोस्ट के साथ मिलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ जाएगी और मिट्टी स्वस्थ हो जाएगी क्योंकि उसमें जीवाणुओं की संख्या ज्यादा होगी, जिसके चलते पैदावार भी अच्छी होगी. इतना ही नहीं बाजारों से रासायनिक पदार्थ और कीटनाशक भी नहीं खरीदना पड़ेगा. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हरी खाद के रूप में ढैंचा लगाएं और सनई का इस्तेमाल करें और खेत को कभी भी खाली न छोड़ें, उसमें जुताई कर दें ताकि पैदावार में कमी ना आए. उन्होंने बताया कि खेत खाली छोड़ने पर मिट्टी की उपज क्षमता कम हो जाती है.
गेंदे और गुलाब की खेती करें किसान
किसानों को अगर अपनी आय बढ़ानी है तो खेती के अलावा उन्हें पशुपालन और फूलों व सब्जियों की बागवानी करनी चाहिए. किसान गेंदे और गुलाब की खेती कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक ने उदाहरण देते हुए जिक्र किया कि लखनऊ में ऐसे कई किसान हैं जो पिछले 15 सालों से गुलाब की खेती कर रहे हैं और प्रति एकड़ ढाई से तीन लख रुपए कमा लेते हैं. गेंदे के फूल की खेती में गुलाब के मुकाबले लागत कम लगती है.
गुलाब की खेती करने वाले किसान अपने गांव में छोटे-छोटे गुलाब का अर्क निकालने का प्लांट भी लगा सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मेंथॉल की खेती के लिए किसान प्लांट लगाते हैं और इसके बाद किसान अर्क को बेंच सकते हैं और एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं. गुलाब की खेती से निकले अर्क का गुलाब जल और इत्र बनाया जा सकता है, इससे किसानों को काफी लाभ होगा.
पाले से कैसे निपटें किसान
वैज्ञानिक दुबे ने आगे बताया कि खेतों में अक्सर ठंड के कारण पाला पड़ जाता है. ऐसे में फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान तुरंत सिंचाई करेंगे तो तापमान मेंटेन रहेगा. इसके अलावा फफूंदी नाशक कार्बन दाइजीन और मेटालिक्जिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करते हैं तो पाले का असर नहीं होगा. गर्मी का मौसम आ रहा है, ऐसे में किसान सब्जियों की खेती करेंगे. खेत में खरपतवार ना लगे इसके लिए किसान मेढ़ के बीच में जो खाली जगह होती है वहां फसल के अवशेष डाल दें तो खरपतवार नही उपजेगा. दूसरी तकनीक यह है कि पन्नी लगाकर उसमें छेद कर दें तो खरपतवार बिल्कुल ही नहीं उगेगी.
वहीं, अगर नीम का तेल इस्तेमाल करके छिड़काव कर दिया जाए तो कीड़ा रोग नहीं लगेगा. इसकी लकड़ी की राख को सब्जी की फसलों के ऊपर डाल दिया जाए तो कीड़े पत्ते नहीं खाएंगे. वहीं क्यूनाल फास दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर हर 10 से 12 दिन में छिड़काव करेंगे तो रोग नहीं लगेगा.
मौसम की जानकारी बेहद जरूरी
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आगे बताया कि जलवायु का परिवर्तन कभी भी हो जाता है, जिससे फसल पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसे में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इंडियन मेटियोरोलिजकल ऐप डाउनलोड करके समय-समय पर मौसम की जानकारी लेते रहना चाहिए,जिससे वह अपनी फसल की देखरेख सही तरीके से कर सकेंगे.