किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए भिंडी की खेती सबसे बढ़िया जरिया है. यह एक ऐसी सब्जी है, जो बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों के द्वारा बहुत ही ज्यादा खाने में पसंद की जाती है. क्योंकि इस सब्जी में अधिक मात्रा में विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स के साथ कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन पाया जाता है, जो हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. किसानों के लिए भिंडी की खेती बेहद फायदे का सौदा हैं, क्योंकि इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें कीट व रोग नहीं लगते हैं. भिंडी की ऐसी ही पांच किस्में आज हम लेकर आए हैं, जिनका नाम पूसा सावनी, परभनी क्रांति, अर्का अनामिका, पंजाब पद्मिनी और अर्का अभय है. भिंडी की यह किस्में 50-65 दिन के अंदर तैयार हो जाती है और यह सभी किस्में लगभग 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है.
भिंडी की यह पांच किस्में देश के ज्यादातर राज्यों में उगाई जाती हैं. भिंडी की खेती की सबसे अच्छी खासियत यह है कि एक बार इसकी खेती करने से किसान दो बार आसानी से फसल प्राप्त कर सकते हैं.
भिंडी की पांच उन्नत किस्में-
पूसा सावनी- भिंडी की पूसा सावनी किस्म को गर्गी, ठंडी और बारिश तीनों ही मौसम में उगाई जा सकती है. यह किस्म खेत में लगभग 60 से 65 दिन में उत्पादन देने लगती है. इसके पौधे की लंबाई 100-200 सेमी तक होते हैं. वहीं, इसके फल गहरे हरे रंग के पाए जाते हैं. पूसा सावनी भिंडी में येलो वेन मोजेक विषाणु रोग नहीं लगता है.
परभनी क्रांति- भिंडी की यह किस्म करीब 50 दिन में फल देने लगती है. इसके पौधे 15-18 सेंमी तक लंबे होते हैं. परभनी क्रांति किस्म की भिंडी के फल गहरे हरे रंग के होते हैं. भिंडी की यह किस्म पीत-रोग से लड़ने में सक्षम है.
अर्का अनामिका- भिंडी की इस किस्म में कई तरह की शाखाएं होती हैं. इसके पौधे की लंबाई 120-150 सेमी तक होती है. इसकी सबसे अच्छी खासियत यह है कि इसके फल में रोए नहीं पाए जाते हैं और साथ यह भिंडी बेहद मुलायम होती है, जिसकी वजह से इसे लोगों के द्वारा अधिक पसंद किया जाता है. भिंडी की अर्का अनामिका किस्म भी येलो वेन मोजेक विषाणु रोग से लड़ने में सक्षम है.
भिंडी की पंजाब पद्मिनी किस्म - भिंडी की इस उन्नत किस्म को पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. पंजाब पद्मिनी किस्म की भिंडी के फल सीधे, चिकने और गहरे रंग के होते हैं. यह किस्म खेत में 55-60 दिन में तैयार हो जाती है. पंजाब पद्मिनी से किसान प्रति एकड़ खेत से लगभग 40-45 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
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भिंडी की अर्का अभय किस्म- इस किस्म की भिंडी के पौधे एकदम सीधे होते हैं. इसके पौधे की लंबाई 120-150 सेमी तक पाई जाती है. भिंडी की यह किस्म भी येलो वेन मोजेक विषाणु रोग से लड़ने में सक्षम है.